झारखंड में सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने गुड समारिटन योजना लागू की है। इस स्कीम के तहत हादसे में जख्मी व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दो हजार से लेकर पांच हजार तक नगद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दिए जाएंगे। राज्य सरकार ने इस स्कीम के लिए आवश्यक फंड की भी व्यवस्था कर ली है।
परिवहन विभाग की ओर से इस योजना की एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) जारी कर दी गई है। गुड समारिटन (अच्छा मददगार व्यक्ति) उन्हें माना जाएगा, जो दुर्घटना में घायल व्यक्ति को बिना किसी विशेष संबंध, वित्तीय लाभ अथवा पुरस्कार की उम्मीद के बगैर अस्पताल पहुंचाएगा। स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सक ऐसे लोगों की पहचान करेंगे। अगर एक व्यक्ति किसी घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसे दो हजार रुपये दिये जाएंगे।
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अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्तियों की संख्या दो से ज्यादा हुई तो दोनों को दो-दो हजार रुपये और दो व्यक्ति से अधिक होने पर सामूहिक रूप से पांच हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। पुरस्कार का फंड सभी जिलों के जिला परिवहन पदाधिकारियों के पास रहेगा। जिले में प्रत्येक सामुदायिक केंद्र को 25 हजार रुपये इस मद में दिए जाएंगे। ऐसा मामला सामने आने पर डीटीओ बिना विलंब यह राशि संबंधित स्वास्थ्य केंद्र को मुहैया कराएंगे।
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सरकार ने भरोसा दिलाया है कि गुड समारिटन को कानूनी पेचीदगियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर किसी मामले में जख्मी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले गुड समारिटन को कोर्ट में गवाही आदि के लिए बुलाने की जरूरत हुई तो उन्हें हर बार आने-जाने के लिए एक हजार रुपये दिये जाएंगे। सरकार की ओर से जारी एसओपी में बताया गया है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी गुड समारिटन से संबंधित रिपोर्ट हर महीने की पांच तारीख को उपलब्ध कराएंगे और इसके बाद हर महीने की सात तारीख को सभी डीटीओ अपने क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार कर सड़क सुरक्षा विभाग को भेजेंगे।
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बता दें कि झारखंड में सड़क हादसों में हर साल तीन से चार हजार लोगों की मौत हो जाती है, जबकि लगभग इतने ही लोगों के घायल होने की रिपोर्ट दर्ज होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हाल में जारी आंकड़े के मुताबिक झारखंड में वर्ष 2021 में हुए 4728 सड़क हादसों में 3513 लोगों की मौत हुई, जबकि 3227 लोग घायल हुए। हादसे में जख्मी लोगों को गोल्डन आवर यानी लगभग एक घंटे के अंदर हॉस्पिटल पहुंचाने से उनकी जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।
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