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झारखंड सरकार ने 34,862 करोड़ रुपये के बकाया को लेकर मोदी सरकार के पास ठोंका दावा, वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखी

झारखंड सरकार ने केंद्र से मिलने वाले जीएसटी कंपनसेशन को भी अगले पांच सालों तक विस्तार देने की मांग की है। इसे लेकर झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने केंद्रीय वित्त मंत्री डॉ निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

झारखंड सरकार ने राज्य में स्थित केंद्रीय उपक्रमों पर राज्य की बकाया राशि के भुगतान के लिए केंद्र के पास दावा ठोंका है। राज्य सरकार ने केंद्र से मिलने वाले जीएसटी कंपनसेशन को भी अगले पांच सालों तक विस्तार देने की मांग की है। इसे लेकर झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने केंद्रीय वित्त मंत्री डॉ निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि झारखंड में चल रही केंद्रीय कंपनियों द्वारा किये गये कोयला खनन के एवज में कंपनसेशन और पानी के मद में 34 हजार 862 करोड़ रुपये बकाया हैं। राज्य की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया है यह राशि राज्य को तत्काल मिलनी चाहिए।

झारखंड सरकार की ओर से लिखे गये पत्र में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कोयला कंपनियों सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल के साथ-साथ सेल और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) पर कोयला खनन के एवज में राज्य सरकार के 33069 करोड़ रुपये की दावेदारी बनती है। इसके अलावा सीसीएल की सब्सिडियरी कंपनियों द्वारा झारखंड की 53064 एकड़ जमीन के उपयोग के बदले कंपनसेशन और भूमि लगान के मद में भी अरसे से राशि बकाया है। केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करते हुए यह राशि राज्य को दिलाने की मांग की गयी है।

पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय कंपनियों द्वारा राज्य के जल संसाधनों के उपयोग के बदले सेल की बोकारो स्टील सिटी पर 1317 करोड़, विभिन्न रेल डिविजनों पर 387 करोड़, हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) पर 348 करोड़, यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (यूसीआई) पर 107 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। इसके अलावा सुवर्णरेखा परियोजना पर तय सीमा से ज्यादा खर्च होने का मामला उठाते हुए केंद्र से 323 करोड़ रुपये की राशि की मांग की गयी है।

बता दें कि इसके पहले भी झारखंड सरकार ने नीति आयोग के समक्ष केंद्र पर बकाया राशि के भुगतान के मामला उठाया था। झारखंड सरकार का कहना है कि डीवीसी द्वारा राज्य में की जाने जाने वाली विद्युत आपूर्ति के बदले समय पर भुगतान न होने पर केंद्र ने राज्य के रिजर्व बैंक खाते से एक साल के दौरान 2131 करोड़ रुपये काट लिये हैं, लेकिन केंद्रीय संस्थानों पर राज्य की बकाया राशि के भुगतान के लिए बार-बार गुहार लगाये जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

झारखंड सरकार का कहना है कि कोयले की रॉयल्टी और मूल्य आधारित दर 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का निर्णय तो 2012 में ही लिया जा चुका है, लेकिन इसपर अब तक अमल नहीं होने से झारखंड को हर साल करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। झारखंड सरकार ने बिना ट्रांसपोटिर्ंग चालान के रेलवे द्वारा राज्य का कोयला बाहर भेजे जाने को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि इससे राज्य को लगातार राजस्व की हानि हो रही है।

राज्य की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए केंद्र से झारखंड सरकार ने मांग की है कि जीएसटी के एवज में राज्य को मिलनेवाला कंपनसेशन अगले पांच सालों तक जारी रखा जाये।

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