झारखंड में कभी भी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है और उधर मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने साले खेमराज साहू की वजह से एक नए विवाद में घिर गए हैं। आरोप है कि खेमराज ने नोटबंदीके दौरान 15 लाख रुपये एक शख्स को रखने के लिए दिए। इसके बदले उनके घर की पावर ऑफ अटार्नी रख ली और अब उस घर पर कथित तौर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसको लेकर झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता मनीष दास ने आरोप लगाया है कि अब वह पैसे लौटाकर अपने घर की पावर ऑफ अटार्नी वापस लेना चाहते हैं, तो मुख्यमंत्री के साले इसके लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने घर पर कब्जा करने की धमकी दी है। इस बीच दो वीडियो क्लिप भी वायरल हुए हैं, जिनमें मनीष दास की पत्नी और बेटी से सीएम के साले कुछ बातें करते दिख रहे हैं और सुने जा रहे हैं। नवजीवन इन क्लिप्स की सत्यता को प्रमाणित नहीं करता। लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दायर इस याचिका से विपक्ष को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा जरूर मिल गया है।
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सीएम के साले खेमराज साहू पर यह आरोप लगाने वाले मनीष दास वैसे तो छत्तीसगढ़ के निवासी हैं लेकिन पिछले कई सालों से जमशेदपुर के सोनारी इलाके में रहते हैं। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि नोटबंदी के दौरान खेमराज साहू ने उन्हें यह कहकर पंद्रह लाख रुपये रखने के लिए दिए कि वह पैसा उनकी बहन (मुख्यमंत्री की पत्नी) का है। वह तत्काल इसे रखें और बाद में लौटा दें। तब सिक्योरिटी के तौर पर उन्होंने मनीष दास के घर की पावर ऑफ अटार्नी अपने नाम करा ली।
बकौल मनीष दास, जब उन्होंने खेमराज साहू को पैसा लौटाने की पेशकश की, तब उन्होंने पैसे के बदले घर की मांग कर दी। वह पैसा लेना नहीं चाहते थे। मनीष दास ने कहा है कि उनके पास जमशेदपुर में सिर्फ यही एक मकान है। अगर उन्होंने इसे खेमराज को दे दिया, तो उन्हें रहने में दिक्कत हो जाएगी। इसलिए वह किसी भी सूरत में अपना घर नहीं देना चाहते। दूसरी ओर खेमराज साहू हर हाल में घर पर कब्जा करना चाहते हैं। इस कारण दोनों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है।
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मनीष दास का कहना है कि जब उन्होंने घर देने से इनकार किया, तब मुख्यमंत्री के साले ने टेलीफोन पर धमकियां देनी शुरू कर दीं। ये सारे फोन कथित तौर पर सीएम हाउस से आए थे। मनीष ने इनकी ऑडियो रिकार्डिंग अपने पास होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि इन फोन काॅल्स में खेमराज साहू ने सारे पैसे जल्दी लौटाने की हिदायत दी थी। इसके बाद वह कई लोगों को लेकर घर पर आ धमके और पैसे लौटाने और घर खाली करने की धमकी दी। मनीष दास ने कहा कि इसकी शिकायत स्थानीय थाना, विधायक और पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त (डीसी) से भी की थी।लेकिन मामला मुख्यमंत्री के साले से जुड़ा होने के कारण उनकी किसी ने मदद नहीं की। इस कारण उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला लिया।
इस बीच सोशल मीडिया पर दो वीडियो वायरल हुए हैं। इनमें मुख्यमंत्री के साले खेमराज साहू मनीष दास के घर पर आकर उनकी पत्नीऔर बेटी से कहासुनी करते नजर आ रहे हैं। बातचीत के दौरान पैसे की चर्चा हो रही है और खेमराज साहू यह कहते हुए दिख रहे हैं कि उन्होंने मनीष दास की बड़ी बेटी की शादी से पहले ये रुपये दिए थे। जब मनीष दास की बेटी उनसे यह पूछती है कि आप इतने लोगों को लेकर घर क्यों आए हैं, तो खेमराज साहू कहते हैं कि यहां 200 लोग आएंगे। मनीष दास इन्हीं वीडियो क्लिप्स को सबूत के बतौर पेश कर रहे हैं। वहीं, खेमराज साहू ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने तो बजाप्ता एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। सोरेन ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि मनीष दास को न्याय क्यों नहीं मिला और उन्हें कोर्ट की शरण क्यों लेनी पड़ी। सोरेन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दूसरों पर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब कोई शख्स मुख्यमंत्री के साले पर घमकी देने और घर कब्जा करने की कोशिश करने के आरोप लगा रहा है, तो इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से क्यों नहीं करा ली गई।
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