जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य में हत्याओं और तबाही के दुष्चक्र को रोकने के लिए मोदी सरकार से सार्थक संवाद शुरू करने की अपील की। राज्य में रविवार को हुई व्यापक हिंसा में सहायक प्रोफेसर समेत पांच आतंकी और पांच नागरिक मारे गए थे। महबूबा ने अभिभावकों से भावुक अपील करते हुए यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि बच्चे आतंकवाद में शामिल होकर मौत को गले न लगाएं।
मुख्यमंत्री ने श्रीनगर में सिविल सचिवालय कार्यालय के उद्घाटन समारोह के मौके पर संवाददाताओं से बातचीत की। सर्दियों की राजधानी जम्मू में छह महीने तक डेरा डालने के बाद गर्मियों की राजधानी श्रनीगर में इस सचिवालय के अंदर कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में जारी हिंसा खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को सार्थक बातचीत शुरु करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो युवा मारे जा रहे हैं, वे हमारे बच्चे हैं। महबूबा ने कहा कि, "जल्द से जल्द हमें अपने राज्य को इस हत्या और तबाही के दुष्चक्र से बाहर निकालना होगा।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "मेरी परिजनों से अपील है कि वे सुनिश्चित करें कि बच्चे आतंकवाद में शामिल होकर मौत को गले न लगाएंगे, क्योंकि ईश्वर ने हम सभी को दुनिया में एक अच्छी जिंदगी के लिए भेजा है न कि 18-20 साल की उम्र में मौत को गले लगाने के लिए। मुझे लगता है कि इस्लाम भी इसकी इजाजत नहीं देता।" उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य में हिसा के चक्र को खत्म करने के लिए शांतिपूर्ण रास्ता तलाशने की अपील की।
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महबूबा ने कहा, "कल जो भी हुआ, बहुत दुखद था। मैं अपने राज्य और देशभर के सभी लोगों के साथ-साथ भारत सरकार से बच्चों को बचाने की अपील करती हूं।" कश्मीर के पत्थरबाजों और सुरक्षा बलों के संदर्भ में उन्होंने कहा, "ज्यादातर मामलों में गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाले बच्चों के हाथों में ही पत्थर और बंदूकें होती हैं।" उन्होंने कहा, "हमें एक ऐसा रास्ता तलाशने की जरूरत है, जिससे हमारे बच्चे, सेना के जवान और पुलिसकर्मी मारे न जाएं।"
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