जम्मू-कश्मीर में पिछले 160 दिनों से बंद मोबाइल इंटरनेट और फोन संपर्क बहाल करने की सुप्रीम कोर्ट की हाल की कड़ी फटकार के बावजूद इस दिशा में सरकार के दावे महज लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। जम्मू कश्मीर सरकार ने कहने को तो 153 वेबसाइटों को कुछ चुनिंदा और सरकार नियंत्रित केंद्रों पर इंटरनेट बहाली के आदेश दिए हैं। लेकिन किसी भी नई वेबसाइट को इंटरनेट इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। मीडिया को अभी भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य के संविधान से प्राप्त विशेषाधिकार अनुच्छेद 370 खत्म करने और पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद मोदी सरकार ने वहां संभावित विरोध-प्रदर्शनों और लोगों की प्रतिक्रियाओं को दबाने और मीडिया पर पाबंदी लगाने के लिए पूरे राज्य में मोबाईल, इंटरनेट और बेसिक फोन सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी थी। कई माह बीतने के बावजूद मीडिया समेत तमाम आवश्यक सेवाओं में हो रही दिक्कतों को देखते हुए इंटरनेट और दूसरी संचार सेवाओं पर पाबंदी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
Published: undefined
जम्मू-कश्मीर में संचार सेवाओं पर प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन जामवाल ने बातचीत में कहा कि इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं की बहाली के बारे में सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में कोई तालमेल नहीं है। राज्य में जिस कछुआ चाल और ढुलमुल तरीके से इंटरनेट और फोन सेवाओं को बहाल करने का तरीका अपनाया गया है, उससे लगता नहीं कि 2 साल से पहले स्थिति पहले जैसी हो सकेगी।
जामवाल ने बताया कि पहले आदेश में आया कि जम्मू के 5 जिलों में 2जी सेवा आरंभ कर देंगे लेकिन सेवाएं पूरी तरह गड़बड़ हैं। उसके बाद दूसरा आदेश आया कि इंटरनेट सेवाओं को और जिलों में भी बढ़ाया जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि मोबाइल और इंटरनेट दोनों ही सेवाएं अभी भी ठप हैं। कुपवाड़ा और हंदवाड़ा जिलों के घरों में बेसिक फोन सेवाएं शुरू नहीं हुई हैं। जहां कुछ वक्त के लिए आरंभ करने के दावे किए जा रहे हैं, वहां कुछ ही मिनटों में पूरी संचार व्यवस्था जानबूझकर बंद की जा रही है।
Published: undefined
बता दें कि सरकार ने कश्मीर घाटी के 80 अस्पतालों में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के आदेश दिए थे, लेकिन अस्पताल के कुछ विशेष कमरों में ही यह सेवा मिल पा रही है। कोई मरीज अगर इसका इस्तेमाल कर भी रहा है तो डॉक्टरों को उपचार के साथ यह भी हिदायत दी गई है कि वे इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले मरीजों की बीमारी और पूरा ब्यौरा रजिस्टर में लिखें। एक डॉक्टर ने बताया कि बाधित इंटरनेट सेवाएं मरीजों और डॉक्टरों दोनों के लिए ही आफत बनी हुई हैं।
यहां बता दें कि राज्य में मीडिया कार्यालयों और पत्रकारों को इंटरनेट की सुविधा आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं की गई है। मीडिया को अभी भी सरकारी मीडिया केंद्रों में जाकर ही इंटरनेट की सुविधाएं नसीब हो पा रही हैं। इसके अलावा राज्य में जिन वेबसाईटों को बहाल करने की बातें कही गईं, उनमें ज्यादातर शैक्षणिक वेबसाइट्स हैं। इनके अलावा 11 मनोंरजन, 20 यात्रा, तीन रोजगार, एक मौसम और चार ऑटोमोबाईल से संबंधित वेबसाइट हैं।
Published: undefined
वहीं, जम्मू क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट को पुरानी स्थिति में लाने के दावे पूरी तरह नाकाम हैं। राजौरी पुंछ में भी सेवाएं बाधित हैं। राज्य के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि शनिवार को मोदी सरकार के 36 मंत्रियों के लाव-लश्कर को लेकर राज्य और देश की टीवी मीडिया में इस तरह की तस्वीर पेश की जा रही है, मानो राज्य में हालात एकदम सामान्य हैं। मंत्रियों के दौरों से लोगों को पिछले पांच माह से हुई भारी परेशानियों पर पर्दा डालने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन घाटी और जम्मू के आम आदमी की दिक्कतें कहीं भी कम होती नहीं दिख रही हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined