जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया है कि केंद्र की मोदी सरकार दो विधायकों की पार्टी के नेता सज्जाद लोन को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। राज्यपाल मलिक ने दावा किया कि उनके ऊपर केंद्र से लगातार दबाव था और राज्य के राजनीतिक हालात की वजह से भी वह काफी दबाव में थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने केंद्र की बात नहीं मानी। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा करते तो ये बेईमानी होती।
हालांकि, दो दिन पहले दिए अपने बयान पर हंगामा मचने के बाद अब वह अपने बयान से पलट गए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरफ से न तो कोई दबाव था और न ही किसी तरह का दखल था। गवर्नर के बयान पर हंगामा खड़ा होने के बाद राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता कवींद्र गुप्ता ने केंद्र का बचाव करते हुए कहा कि राज्यपाल पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था। गुप्ता ने उल्टा राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार दो दिन पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से सज्जाद लोन को सीएम बनाने के लिए कहा गया था। इसके लिए उनपर काफी दबाव था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, “अगर मैं ऐसा करता तो ये बेईमानी होती।”
कार्यक्रम में मलिक ने दावा किया था कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार बनाने के प्रति गंभीर नहीं थे, कयोंकि अगर वे गंभीर होते तो फोन करते या किसी के हाथों पत्र भेज सकते थे। साथ ही मलिक ने कहा कि सज्जाद लोन दावा कर रहे थे कि उनके पास पर्याप्त विधायकों की संख्या है। वहीं, महबूबा मुफ्ती ने उनसे अपने विधायकों को धमकाने की शिकायत की थी। उन्होंने कहा, “ऐसे में लोन को मौका देकर मैं पक्षपात नहीं करना चाहता था।”
राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, “मैं वास्तव में नहीं जानता कि ग्वालियर में गवर्नर साहब के खुलासे का क्या अर्थ हो सकता है। हम जानते हैं कि बीजेपी और उसके साथी खरीद-फरोख्त और पैसे का उपयोग कर सरकार बनाने के लिए बेताब थे। लेकिन हमने पहले कभी किसी राजनीतिक रूप से नियुक्त गवर्नर को केंद्र की इच्छाओं के खिलाफ जाते हुए भी नहीं देखा।\”
Published: 27 Nov 2018, 2:34 PM IST
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली बीजेपी और पीडीपी की साझा सरकार उस समय गिर गई थी, जब बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया था। उसके बाद से राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। हाल ही में राज्य में राज्यपाल शासन की मियाद पूरी होने जा रही थी, जिसको देखते हुए राज्य में सरकार बनाने को लेकर कोशिशें तेज हो गई थीं। जिसके तहत पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल से वक्त की मांग की थी। लेकिन इसी बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला जारी कर दिया, जिसके बाद से उनके फैसले पर राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं।
Published: 27 Nov 2018, 2:34 PM IST
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Published: 27 Nov 2018, 2:34 PM IST