जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद राजनीतिक उठा-पटक तेज हो गई है। गुरुवार सुबह बीजेपी नेता राम माधव ने पीडीपी-एनसी को लेकर बड़ा बयान दिया। जिसके बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राम माधव के बीच जुबानी जंग छिड़ गई।
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राम माधव के बयान पर पलटवार करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सब पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है। मैं चैलेंज करता हूं कि हम कैसे और कहां पर पाकिस्तान के इशारे पर चलते हैं, इसके सबूत दिए जाएं। मैं माफी चाहता हूं राम माधव साहब, लेकिन आपने हमारे कार्यकर्ताओं की कुर्बानी का अपमान किया है। आपको सबूत देना होगा या माफी मांगनी होगी। अगर आपमें हिम्मत है, तो सबूत लेकर लोगों की अदालत में आ जाइए।”
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उमर अब्दुल्ला आगे कहा, “राज्यपाल ने कहा कि अलग-अलग सोच रखने वाले एक साथ कैसे आ सकते हैं, तो मैं पूछता हूं कि क्या उन्होंने यह सवाल पहले पीडीपी और बीजेपी से नहीं पूछा था। पीडीपी और बीजेपी की तुलना में हमारे (पीडीपी और कांग्रेस) बीच मतभेद कम है। राज्यपाल द्वारा फैक्स मशीन बंद होने पर उन्होंने कहा कि कि जैसे राज्य की ट्रैफिक पुलिस कई बार रास्तों पर वनवे बना देती है, वैसे ही फैक्स मशीन है जिससे सिर्फ फैक्स जा सकते हैं, लेकिन आ नहीं सकते हैं
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इससे पहले बीजेपी नेता राम माधव ने कहा कि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सीमा पार से मिले इशारे के बाद पंचायत चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। अब ऐसा लगता है कि उन्हें सीमापार से सरकार बनाने के निर्देश मिले उसके बाद दो धुर विरोधी एक दूसरे के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद शुरू की है।
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दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने विधानसभा भंग करने के फैसले को सही बताया है। राज्यपाल ने यह फैसला पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के बाद लिया था। उन्होंने आगे कहा, “फैक्स मुद्दा नहीं है। कल यानी बुधवार को ईद थी। दोनों नेता को पता होना चाहिए कि इस दिन दफ्तर बंद रहा करते हैं। यहां तक कि मेरा रसोइया भी छुट्टी पर था, फैक्स को संभालने वाले की तो बात ही अलग है। अगर मुझे फैक्स मिल भी गया होता, तो मेरा रुख यही होता।”
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वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में खुद की सरकार बनाने में नाकाम बीजेपी ने विधानसभा को भंग करवाया दिया। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें विधानसभा भंग करवाना ही था तो 4-5 महीने पहले ही भंग करवा देना चाहिए था, जब पीडीपी से समर्थन वापस लिया था।
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उन्होंने आगे कहा, “हमें गवर्नर से कोई शिकायत नहीं है। वह बहुत अच्छे शख्स हैं। हमें शिकायत केंद्र सरकार से है कि अगर उन्हें विधानसभा भंग ही करनी थी, तो चार-पांच महीने पहले कर देनी चाहिए थी, जब उन्होंने पीडीपी से समर्थन वापस लिया था।”
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बता दें कि कल नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का आदेश जारी कर दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया तो वहीं गवर्नर सत्यपाल मलिक अपने फैसले को सही ठहरा रहे हैं।
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