दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर को जमानत दे दी है। दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में सफूरा को अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जामिया विश्वविद्यालय के बाहर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन का अहम चेहरा रहीं सफूरा को फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
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सफूरा जरगर गर्भवती हैं और अदालत ने उन्हें मानवीय आधार पर जमानत दी है। सफूरा की जमानत अर्जी पर आज केंद्र सरकार ने भी विरोध नहीं किया। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य को सफूरा को जमानत पर रिहा किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते वह उन गतिविधियों में लिप्त न हों, जिनके लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है। केंद्र सरकार के वकील की दलील सुनने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने सफूरा जरगर को 10 हजार रुपये के निजी मुचलके और कुछ अन्य शर्तों के साथ जमानत दे दी।
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इससे पहले दिल्ली पुलिस सफूरा की जमानत अर्जी का लगातार विरोध कर रही थी। दिल्ली पुलिस का कहना था कि सिर्फ गर्भवती होने की वजह से सफूरा ज़मानत की हकदार नहीं हो सकती हैं। उनके खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं। लेकिन आज केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमें मानवीयता के आधार पर जमानत देने पर कोई आपत्ति नहीं है।
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गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने सफूरा जरगर को दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा को भड़काने के आरोप में अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान अचानक गिरफ्तार किया था। फिलहाल उन्हें 25 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि सफूरा के खिलाफ अभी भी जांच चल रही है। दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
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