जामिया विश्वविद्यालय के प्रशासन ने कहा है कि उसके पास इस बात का वीडियो मौजूद है कि पुलिस ने किस तरह कैंपस में घुसकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की। विश्वविद्यालय प्रशासन सारे तथ्य जमा कर इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराएगा।
जामिया के प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने कहा कि, “पुलिस ने कई कैमरे तोड़ दिए थे और हम सारे तथ्यों का विश्लेषण कर रहे हैं। फिर भी हमारे पास जो भी रिकॉर्डिंग बची है, उसे यूनिवर्सिटी का मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट सीडी पर कॉपी कर रहा है। हमने यह सारा वीडियो देखा है जिससे पता चलता है कि पुलिस ने कैंपस में घुसकर कैसी बर्बरता की है। कई तस्वीरें हैं जिनसे पता चलता है कि पुलिस ने बिना किसी उकसावे के आंसूगैस के गोले दागे, कैसे लाइब्रेरी के अंदर और बाहर तोड़फोड़ की। अभी सारा फुटेज देखना बाकी है।”
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इस बारे में यूनिवर्सिटी के पीआरओ अहमद अजीम ने कहा कि, “हमने अभी इसे नहीं देखा है, एक बार देखेंगे तो अंदाज़ा लगेगा कि हमारे पास क्या है।” उन्होंने बताया कि इस बारे में रजिस्ट्रार ज्यादा जानकारी दे सकते हैं। लेकिन रजिस्ट्रार ए पी सिद्दीकी इस बारे में बयान देने के लिए उपलब्ध नहीं थे।
गौरतलब है कि जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने सोमवार को कहा था कि वे संपत्ति के नुकसान और छात्रों पर पुलिस जुल्म को लेकर एफआईआर दर्ज कराएंगी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है। उन्होंने कहा था कि, “पुलिस बिना अनुमति के कैंपस में आई थी, हम कैंपस में पुलिस की मौजूदगी बरदाश्त नहीं कर सकते। मैं इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने तथ्य रखूंगी।”
पुलिस कार्रवाई से जुड़े वीडियो को विश्वविद्यालय प्रशासन ने मीडिया के लिए जारी करने से इनकार किया है। वसीम अहमद खान ने कहा कि, “हम इस बारे में रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जिसे गृह मंत्रालय को सौंपेंगे। हम रिपोर्ट में वीडियो फुटेज की सारी जानकारी शामिल करेंगे। इसके बाद ही तय करेंगे कि इस वीडियो को मीडिया के लिए जारी किया जाए या नहीं।”
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इस दौरान जामिय टीचर्स एसोसिएशन भी छात्रों के समर्थन में सामने आई है, लेकिन छात्रों का कहना है कि इस बारे में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। एम फिल कर रहे एक छात्र का कहना है कि, “उन्होंने सोमवार को हमसे मुलाकात की और आज वे इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए पुलिस हमले की निंदा कर रहे हैं, लेकिन केस कब फाइल करेंगे। लगता है वे ऐसा नहीं करेंगे। इसलिए अब हम एक समूह बनाकर आगे की रणनीति बना रहे हैं और पुराने छात्रों से मिल रहे हैं ताकि इस मामले में आगे कैसे बढ़ा जाए।”
वहीं मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट एक छात्र ने कहा कि, “हम पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए सभी छात्रों की मेडिको लीगल सर्टिफिकेट जमा कर रहे हैं। साथ ही हम अपने स्तर से सबूत भी जमा कर रहे हैं और उम्मीद है कि हमें कुछ सीसीटीवी फुटेज भी मिल जाएगा। इसके बाद हम एफआईआर दर्ज कराएंगे।”
ध्यान रहे कि जामिय यूनिवर्सिटी के छात्रों पर दिल्ली पुलिस की बर्बरता को तीन दिन हो गए हैं। रविवार की रात दिल्ली पुलिस छात्रों पर कहर बनकर टूट पड़ी थी। इस डरावनी रात को याद कर अभी भी बहुत से छात्र सिहर जाते हैं।
इस दौरान छात्रों का विश्वविद्यालय गेट पर विरोध प्रदर्शन जारी है। बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, अभिनेता जीशान अय्यूब और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छात्रों के इस आंदोलन में हिस्सा लिया। उधर इस कार्रवाई के बाद विश्वविद्यालय में कक्षाएं नहीं लग रही हैं और छात्र नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हुए जो हुआ उसे पीछे छोड़ना चाहते हैं। छात्रों के बीच विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर को लेकर भी गुस्सा है।
एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “जो कुछ हुआ उसे मैं भूल नहीं पा रहा हूं। मुझे भी पुलिस पकड़कर थाने ले गई थी। मेरा फोन अभी तक पुलिस ने वापस नहीं किया है। मुझे फोन कैसे मिलेगा नहीं पता, क्योंकि मैं अकेले थाने जाने में घबरा रहा हूं। मैं डर नहीं रहा, लेकिन कई बार आपके सामने जब ज्यादा संख्या में लोग हों तो घबराहट होती है। मैं इस बारे में वीसी से बात कर मदद मांगूंगा, लेकिन वे हैं कहां?”
ससे पहले पुलिस ने मंगलवार को एक एफाआईआर दर्ज की है, लेकिन छात्रों पर हुए हमले को लेकर अभी तक कोई रिपोर्ट फाइल नहीं की गई है। एक छात्र ने कहा, “यूनिवर्सिटी को हमारी मदद करनी चाहिए। वे दावा कर रहे हैं कि हम यहां सुरक्षित हैं और अंदर आने पर हमारे आईकार्ड चेक किए जा रहे हैं। लेकिन अगर वे कैंपस के अंदर भी हमारी सुरक्षा की गारंटी वे नहीं ले सकते तो वीसी कर क्या रही हैं?”
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