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जमात-ए-इस्लामी हिंद ने ननकाना साहिब हमले की निंदा की, घटना में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की  मांग 

मुस्लिम संगठन, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे में हुई पथराव की घटना की निंदा की है और मांग की है कि इसमें शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाए।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

मुस्लिम संगठन, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे में हुई पथराव की घटना की निंदा की है और मांग की है कि इसमें शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाए। जमात के अध्यक्ष सदातुल्ला हुसैनी ने कहा, "हम मांग करते हैं कि पाकिस्तान सरकार को इस घटना में शामिल लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए और तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।"

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जमात के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने कहा, "यह पाकिस्तान सरकार का कर्तव्य है कि वह धार्मिक स्थल की सुरक्षा और पवित्रता सुनिश्चित करे और हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ जैसे किसी भी कृत्य से तीर्थयात्रियों और सिख समुदाय के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराएं।"

जमात को उम्मीद है कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि शुक्रवार को ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर एक बड़ी भीड़ ने हमला किया था और सिख श्रद्धालु गुरुद्वारे के अंदर ही फंस गए थे।

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जमात-ए-इस्लामी की मासिक प्रेस ब्रीफिंग में सदातुल्ला हुसैनी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बर्खास्त करने की भी मांग की। उन्होंने कहा, “यूपी के सीएम अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी को पूरा करने में विफल रह हैं। ऐसे में उन्हें तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।”

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को रोकने के नाम पर अपने ही नागरिकों के साथ बर्बरता की। सीएम योगी के बदले वाले बयान की निंदा करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीन इंजीनियर ने कहा, “ ये बीजेपी के हित में है कि वो मुख्यमंत्री के पद से योगी आदित्यनाथ को भी हटा दें।”

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उन्होंने कहा कि यूपी में आरक्षण आंदोलन के वक्त जाटों को वसूली का कोई नोटिस नहीं दिया गया था। फिर मुस्लिमों को क्यों नोटिस दिया गया और वो भी बिना किसी जांच के। उन्होंने हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष ने कहा कि 21 राज्यों को मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा गया है जिसमें यह मांग की गई कि केंद्र सरकार उन प्रावधानों के अधिनियम में आवश्यक बदलाव करे जो कि भारत के संविधान का उल्लंघन है।

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जमात-ए-इस्लामी ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ यूपी पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। जमात ने अपने बयान में कहा, “वीडियो और दूसरे सबूतों से पता चलता है कि यूपी पुलिस ने पहले सीसीटीवी कैमरे तोड़े और फिर घरों, कारों और दूसरी गाड़ियों में तोड़फोड़ को अंजाम दिया। इस घटना में 20 से अधिक लोग मारे गए, सैंकड़ों घायल हैं।” जमात-ए-इस्लामी कहा कि मानमाने कार्रवाई करने के लिए पुलिस को सरकार की तरफ से खुली छुट्टी दी गई थी। जमात-ए-इस्लामी ने इस घटना की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग भी की है।

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