केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने जलियांवाला बाग की 100वीं बरसी पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश की। उन्होंने एक ऐसा ट्वीट किया जिसपर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया जताई। जलियांवाला बाग त्रासदी के संदर्भ में हरसिमरत कौर ने ट्वीट पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की इस बात के लिए आलोचना की थी कि वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को स्वर्ण मंदिर लेकर क्यों गए? उन्होंने इस बात पर भी सवाल पूछा था कि आखिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की माफी की जरूरत ही क्या है।
इसके जवाब में कैप्टन ने करारी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट पर ही लिखा कि, “क्या आपके पति सुखबीर बादल या आपके ससुर प्रकाश सिंह बादल या फिर आपके परदादा सरदार सुंदर सिंह मजीठिया ने कभी इस बात के लिए माफी मांगी कि उन्होंने जलियांवाला बाग की घटना के दिन ही आखिर जनरल डायर को शानदार दावत क्यों दी थी? इसके बाद ही उन्हें 1926 में ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित किया था।”
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कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस जवाब के बाद ट्विटर पर सरदार सुंदर सिंह मजीठिया के बारे में तरह-तरह की जानकारियां लोगों ने शेयर कीं। जो जानकारियां सामने आईं वे कुछ इस तरह हैं:
जलियांवाला बांग की घटना के बाद जहां पूरे विश्व में विरोध हुआ और महात्मा गांधी ने कैसर-ए-हिंद का टाइटिल लौटा दिया था, वहीं सुंदर सिंह मजीठियां को ब्रिटिश सरकार ने जनरल डायर और ब्रिटिश राज की सेवा के लिए सरदार बहादुर के रुतबे से नवाज़ा।
सुंदर सिंह मजीठियां हरसिमरत कौर बादल और पंजाब सरकार में मंत्री रहे बिक्रम सिंह मजीठिया के परदादा थे। जलियांवाला बाग की घटना के बाद उसी दिन जनरल डायर ने अपने कुछ बेहद विश्वस्त लोगों की बैठक बुलाई थी इनमें सुंदर सिंह मजीठिया भी शामिल थे।
सुंदर सिंह मजीठिया ब्रिटिश राज का खुला समर्थन करते थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस नरसंहार के लिए जनरल डायर की तारीफ करते हुए उन्हें एक कुशल प्रशासक कहा था। उन्होंने कहा था कि जनरल डायर के खिलाफ कुछ शरारती तत्वों ने शांति भंग करने के लिए साजिश रची थी।
खुशवंत सिंह ने लिखा था कि वह जब बच्चे थे तो उनकी मुलाकात कभी सुंदर सिंह मजीठिया से हुई थी। उन्होंने लिखा कि वे एक एल्बम को लेकर गए थे और उस पर मजीठिया के ऑटोग्राफ चाहते थे, लेकिन एल्बम में भगत सिंह की फोटो देखकर मजीठिया भड़क गए थे और उन्होंने भगत सिंह को एक गुंडा कहते हुए एल्बम को हॉल के दूसरे सिरे में फेंक दिया था।
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सीपीएम नेता और पूर्व सांसद एम बी राजेश ने लिखा है कि उन्होंने इस मुद्दे पर संसद में बोलते हुए मोदी सरकार से आग्रह किया था कि वह इस मुद्दे पर ब्रिटेन से माफी लेने वाला प्रस्ताव लेकर आए। लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने आगे लिखा है कि, “मैं सरकार से कहा था कि भारत को प्रस्ताव पास कर ब्रिटेन से जलियांवाला बाग के लिए बिना शर्त माफी की मांग करनी चाहिए, लेकिन ‘राष्ट्रवादी’ मोदी सरकार ने इससे इनकार कर दिया था।”
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इस पूरे मामले में सबसे आश्चर्यजनक यह रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में मशगूल रहे। उन्होंने मात्र एक ट्वीट कर औपचारिकता भर निभा दी। जलियांवाला बाग की सौवीं बरसी पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जरूर वहां हुए कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इस मौके पर एक डाक टिकट और एक सिक्का जारी किया।
भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त डॉमिनिक एसक्विथ ने भी अमृतसर में स्मारक का दौरा किया। उन्होंने वहां कि विजिटर बुक में लिखा, “सौ साल पहले जलियांवाला बाग में हुई घटना ब्रिटिश-इंडियन इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना है। जो कुछ हुआ इसका हमें बेहद अफसोस है। मुझे खुशी है कि भारत और ब्रिटेन आज भी मिलकर एक शानदार इक्कीसवीं सदी का निर्माण कर रहे हैं।”
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