देश भर में एनआरसी की चर्चा हो रही है। असम में एनआरसी को मिसाल बताकर लोग एनआरसी का पूरे देश भर में जोरदार विरोध कर रहे हैं। असम में एक ऐसा मामला सामने आया जिसके बारे में सुनकर हर कोई दंग है। महिला ने अपनी और अपने पति की नागरिकता साबित करने लिए 15 तरह के दस्तावेज पेश किए, लेकिन वो फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में हार गईं और नागरिकता साबित नहीं कर पाई। महिला ने जब इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी तो वहां भी हार गई।
Published: 19 Feb 2020, 11:03 AM IST
हाई कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ‘बैंक खातों का विवरण, पैन कार्ड और भूमि राजस्व रसीद जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।’ जबकि असम प्रशासन द्वारा स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची में भूमि और बैंक खातों से जुड़े दस्तावेजों को रखा गया है।
Published: 19 Feb 2020, 11:03 AM IST
एनडीटीवी रिपोर्ट की मानें तो असम में रहने वाली एक 50 वर्षीय महिला जो बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को पाल पा रही है, वह खुद को भारतीय नागिरक साबित करने की लड़ाई अकेले लड़ रही है। ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित की गईं जाबेदा बेगम हाईकोर्ट में अपनी लड़ाई हार चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट उनकी पहुंचे से दूर दिख रहा है। जबेदा गुवाहाटी से लगभग 100 किलोमीटर दूर बक्सा जिले में रहती है।
Published: 19 Feb 2020, 11:03 AM IST
जाबेदा बेगम ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा, “वो अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य हैं। पति काफी समये से बीमार है। तीन बेटियां थीं, जिनमें से एक की हादसे में मौत हो चुकी है। एक बेटी लापता हो गई है, जिसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। सबसे छोटी अस्मिना पांचवीं कक्षा में पढ़ती है। मैं उसकी भविष्य को लेकर ज्यादा परेशान रहती है।”
उन्होंने आगे कहा, “उसकी कमाई का लगभग पूरा हिस्सा कानूनी लड़ाई में खर्च हो गया है, ऐसे में उसकी बेटी को कई बार भूखे ही सोना पड़ रहा है। मुझे चिंता है कि मेरे बाद उनका क्या होगा? मैं खुद के लिए उम्मीद खो चुकी हूं।”
Published: 19 Feb 2020, 11:03 AM IST
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Published: 19 Feb 2020, 11:03 AM IST