राजस्थान में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के बयान से राज्य की राजनीति और खासतौर से बीजेपी में भूचाल सा आ गया है। कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को ‘भ्रष्टाचारी नंबर-1’ कहा है। उन्होंने कहा कि वे अर्जुन राम मेघवाल के भ्रष्टाचार के बारे में प्रधानमंत्री मोदी को लिखेंगे और उनसे मेघवाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बरखास्त करने की मांग करेंगे।
दरअसल कैलाश मेघवाल हाल के वर्षों में कई बार बीजेपी के अधिकारिक रुख से अलग तेवर दिखाते रहे हैं। 89 वर्षीय कैलाश मेघवाल दलित समुदाय से आते हैं और उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है। वे वसुंधरा के शासन में विधानसभा स्पीकर रहे, इसके अलावा भेरो सिंह शेखावत के दौर में भी अहम पदों पर रह चुके हैं। साथ ही वे दो बार लोकसभा के सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं।
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जनवरी 2020 में उन्होंने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार किया था और सदन में बैठे रहे थे। इसके बाद वे राजस्थान में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और बीजेपी के राजस्थान अध्यक्ष सतीश पूनिया से भी भिड़ गए थे कि उन्होंने 2019 में विधानसभा सत्र बुलाए जाने के मुद्दे पर उनका साथ नहीं दिया था।
इसके बाद 2020 में जब राजस्थान में राजनीतिक संकट गहरा रहा था तो उस वक्त कैलाश मेघवाल वसुंधरा खेमे की तरफ से सबसे जोरदार आवाज के तौर पर सामने आए थे। उस समय जब सचिन पायलट ने आरोप लगाया था कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को हाईकोर्ट के आदेशों के विपरीत सरकारी बंगला अलॉट किया गया है तो मेघवाल वसुंधरा राजे के बचाव में खुलकर सामने आए थे।
इसी तरह कैलाश मेघवाल ने बयान दिया था कि उनकी पार्टी (बीजेपी) गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है और इसके लिए हॉर्स ट्रेडिंग करने में जुटी हुई है। उन्होंने जोड़-तोड़ को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था।
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दरअसल राजस्थान में बीजेपी में अंदरुनी गुटबाजी लगातार बढ़ती जा रही है और अब खुलकर सामने आने लगी है। बीजेपी में नेतृत्व का संकट तो है ही, इसी के चलते बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के भी कई दावेदार सामने आने लगे हैं। लेकिन कैलाश मेघवाल जैसे वरिष्ठ नेता के इस तरह के बयान से बीजेपी सकते में हैं। बीजेपी एक तरह से वसुंधरा को हाशिए पर ठेल चुकी है, और किसी कीमत उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाना चाहती, जिसके चलते पार्टी में लीडरशिप का संकट और गहरा गया है।
केंद्रीय कानून मंत्री के बारे में बयान के लिए बीजेपी की अनुशासन समिति ने कैलाश मेघवाल को नोटिस भेजा है। वैसे पार्टी के अंदरूनी गलियारों में कैलाश मेघवाल को मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भी गिना जाता है।
पार्टी के नोटिस पर कैलाश मेघवाल ने कहा है कि, “मैं नोटिस का जवाब दूंगा, लेकिन भ्रष्ट व्यक्ति को भ्रष्ट ही कहूंगा। अर्जुन राम मेघवाल के भ्रष्टाचार से जुड़ी तमाम सामग्री मेरे पास है। मैं उसकी सूची बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजूंगा।”
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उन्होंने कहा कि अर्जुन राम मेघवाल एक नौकरशाह थे और प्रोमोशन से आईएएस बने थे, उसी दौरान उन्होंने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किए हैं। कैलाश मेघवाल ने कहा कि कानून मंत्री सिर्फ खुद को बचाने के लिए ही राजनीति में आए थे। मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करूंगा कि उन्हें मंत्रिमंडल हटाया जाए।
कैलाश मेघवाल ने दावा किया कि वे अब 89 साल के हो चुके हैं और अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी कहती है कि मैं बूढ़ा हो गया हूं, लेकिन मैं अभी भी सक्रिय हूं और लोगों की सेवा करता हूं। उन्होंने कहा, “उम्र क्या होती है। क्या परिवार अपने बुजुर्गों को घर से बाहर फेंक देता है।”
इस बीच कैलाश मेघवाल के आरोपों पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि कैलाश मेघवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफें करते हैं और उन्हीं के कहने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं।
इस पर कैलाश मेघवार ने कहा है कि, “आखिर भ्रष्टाचार के आरोपों से अर्जुन मेघवाल इतना घबरा क्यों रहे हैं। अगर मैं गलत हूं तो वे मेरे खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करा दें। मैं इसका सामना करने को तैयार हूं।”
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उधर कांग्रेस गलियारों में चर्चा है कि अर्जुन राम मेघवाल एक और दलित नेता रोशन मेघवाल के लिए लॉबी कर रहे हैं और उन्हें शाहपुर (सुरक्षित) सीट से बीजेपी का टिकट दिलाना चाहते हैं। इस सीट से वर्तमान में कैलाश मेघवाल विधायक हैं। हाल के दिनों में अर्जुन राम मेघवाल चार बार भीलवाड़ा जिले का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली भी कराई थी।
चर्चा है कि अर्जुन मेघवाल द्वारा रोशन की पैरवी से कैलाश मेघवाल नाराज हो गए हैं और इसीलिए उन पर आरोप लगा रहे हैं। कैलाश मेघवाल शाहपुर से पांच बार विधायक रहे हैं। लेकिन कैलाश मेघवाल के आरोपों से क्षेत्र के दलित वोटरों पर खासा प्रभाव पड़ने की आशंका है।
कैलाश मेघवाल को पार्टी का बड़ा दलित नेता माना जाता है। वे केंद्र में मंत्री रहने के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। राजनीतिक जीवन की शुरुआत में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े थे, लेकिन बाद में जनसंघ और क्रमश: बीजेपी से जुड़ गए। 1975 से 1977 के दौरान वे मीसा के तहत जेल में भी रहे।
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कैलाश मेघवाल पहली बार 11977 में राजसमंद से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे और राजस्था में उन्हें दस विभागों का राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 1980 में जनता पार्टी के विभाजन पर वे बीजेपी से जुड़े और अजमेर ईस्ट से बीजेपी के विधायक चुने गे। 1989 में उन्होंने जालोर से लोकसभा का चुनाव जीता, लेकिन 1991 में फिर विधानसभा में आ गए।
कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि दरअसल अर्जुन राम मेघवाल को बीजेपी की मैनिफेस्टो कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने से कैलाश मेघवाल नाराज हैं और उन्हें लगता है कि वे उनका टिकट काट देंगे।
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