उत्तराखंड के चमोली में रविवार सुबह आई आपदा में अब तक कई लोगों के मारे जाने की खबर है। कई शव रेस्क्यू अभियान के दौरान बरामद भी किए हैं। वहीं अभी भी कहा जा रहा है कि 30 से ज्यादा लोग उस टनल में फंसे हुए हैं। जिन्हें बचाने की कोशिश जारी है। सरकारी बयान के मुताबिक तपोवन की सुरंग 180 मीटर की है। फिलहाल 130 मीटर अंदर तक टीमें पहुंच चुकी हैं लेकिन मलबा भरा हुआ है। तीन दिन बाद भी यहां रेस्क्यू का काम जारी है। वहीं सुरंग में फंसे बाकी लोगों को निकालने के लिए मरीन कमांडो का दस्ता भी पहुंचा है।
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इधर आईटीबीपी के एडीजी (पश्चिमी कमान) मनोज सिंह रावत ने तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर परियोजना में चल रहे बचाव प्रयासों की समीक्षा की और बचावकर्मियों ने करीब 3 दर्जन व्यक्तियों के फंसे होने की आशंका के बीच उन तक पहुंचने के लिए एक अवरुद्ध सुरंग में लगभग 130 मीटर तक खुदाई की। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने कहा कि सुरंग में एक मोड़ तक पहुंचने के लिए रातभर लगातार प्रयास के बाद केवल 50-60 मीटर मलबा हटाकर वहां पहुंचना बाकी गया, जहां इन लोगों के एक वाहन में फंसे होने की बात कही गई थी। बचावकर्मियों ने फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए स्निफर डॉग्स को तैनात किया था।
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आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, "हमारा प्रारंभिक लक्ष्य सुरंग के मुख की ओर से 180 मीटर के मलबे को साफ करना था, जहां से दाहिनी ओर एक मोड़ है जहां 30 से अधिक व्यक्तियों के फंसे होने की आशंका है। जब बाढ़ ने परियोजना को अपनी चपेट में ले लिया, उस समय ये लोग एक वाहन पर सवारे थे।" इससे पहले एक रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया था कि 130 मीटर लंबे मार्ग से मलबा हटा दिया गया है। आपको बता दें, उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार की सुबह हुई त्रासदी के बाद 200 से अधिक आईटीबीपी के जवान मौके पर पहुंच गए थे। इस घटना में एनटीपीसी के तपोवन और ऋषिगंगा हाइड्रो परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा। पांडे ने कहा, "लगभग 170 लोगों के लापता होने की आशंका है। विभिन्न स्थानों से 30 शवों की बरामदगी की सूचना है। मंगलवार सुबह रेनी गांव से तीन शव बरामद किए गए।"
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इससे पहले, राज्य अधिकारियों ने सोमवार शाम को कहा गया था कि 197 व्यक्ति अभी भी लापता हैं, जबकि 26 शव बरामद किए गए हैं। एनडीआरएफ, आईटीबीपी और राज्य प्राधिकरण सेना के साथ खोज और बचाव अभियान में शामिल हैं। केंद्र स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बचाव उपकरण के साथ सेना के इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (ईटीएफ) की एक टीम को क्षेत्र में तैनात किया गया है। ईटीएफ कर्मियों के साथ सेना के जवानों ने तपोवन में सुरंग का मुंह खोला। इसके अलावा, वैज्ञानिकों की एक टीम रविवार रात को देहरादून के लिए रवाना हुई और घटनास्थल का भी दौरा किया। सुरंग में कम तापमान और मलबे, बचाव दल के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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