उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हादसे के बाद सुरंग में फंसे मजदूरों के बचाव का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन उनके बाहर निकलने में अभी और वक्त लग सकता है। अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स ने कहा कि हम जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं, ताकि कोई समस्या न खड़ी हो जाए। डिक्स ने कहा कि बचाव अभियान जोरों पर है। काफी सफलता मिली है। भारत के तमाम विशेषज्ञ यहां हैं। हम जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं क्योंकि अगर हम जल्दबाजी करेंगे तो हम ऐसी समस्या खड़ी कर सकते हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हम क्रिसमस से पहले 41 स्वस्थ पुरुषों को देखेंगे और किसी को चोट नहीं पहुंचेगी।
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अर्नाल्ड डिक्स ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग की पूरी तैयारी है, जैसे कि सभी साइटें तैयार हैं, पहुंच मार्ग तैयार किए गए हैं, सब कुछ तैयार है और वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ क्या करना है इसके बारे में निर्णय शीघ्र ही लिया जाएगा। लेकिन सभी विभिन्न पहुंच मार्ग एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसलिए जब हम ऑगरिंग कर रहे हैं, तो हमें बहुत सावधान रहना होगा और इसमें वर्टिकल ड्रिलिंग के बारे में सावधान रहना भी शामिल है। तो हम वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं। सवाल सिर्फ यह है कि यह निर्णय कब किया जाता है कि इसे करना है या नहीं करना है।
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डिक्स ने कहा कि इस समय, ऐसा लगता है जैसे हम सामने के दरवाजे पर हैं और हम उस पर दस्तक दे रहे हैं। हम जानते हैं कि लोग दूसरी तरफ हैं। वहीं, दिल्ली पीएमओ से आए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भास्कर खुल्बे ने कहा कि अगले 14-15 घंटों में हम 60 मीटर का आंकड़ा पार कर लेंगे। जहां मजदूर हैं, वहां पहुंचने में हमें 12-14 घंटे और लगेंगे। फंसे मजदूरों को इकट्ठा करने और एनडीआरएफ की मदद से बाहर लाने में 2-3 घंटे और लग सकते हैं।
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उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे का गुरुवार को 12वां दिन रहा। पिछले 12 दिनों से 41 मजदूर टनल में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के लिए दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर जारी है। इस दौरान बुधवार रात से ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी में डटे हुए हैं और बचाव अभियान का जायजा ले रहे हैं। गुरुवार सुबह केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी सात सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम के साथ उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल पहुंचे और अंदर जाकर अभियान का जायजा लिया।
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