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रक्षा मंत्री ने सिर्फ प्रतीकात्मक डिलीवरी ली राफेल की, असली लड़ाकू भारत आने में अभी लगेगा 8 महीने का वक्त

फ्रासं में राफेल विमान पर ऊं लिखते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विमान के पहियों के नीचे नीबू रखे होने आदि की तस्वीरें कल से ही वायरल हैं। आज के अखबारों की सुर्खियां भी यहीं है कि भारत को राफेल मिल गया। लेकिन वाकई है या फिर वास्तविकता कुछ और है!

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

भारत को वायुसेना के स्थापना दिवस और दशहरेके मौके पर पहला राफेल लड़ाकू विमान मिल गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांसमें बाकायदा विधि विधान से इस विमान की पूजा अर्चना की। इस मौके की खबरें औरतस्वीरें मीडिया में कल से ही छाई हुई हैं। लेकिन क्या भारत को वाकई राफेल विमानोंकी पहले खेप मिल गई?

कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह सिर्फ प्रतीकात्मक कार्यक्रम था, और भारतीय वायुसेना को राफेल मिलने में अभी कम से कम 8 महीने का वक्त है, क्योंकि भारत को राफेल विमान अगले साल यानी 2020 के मई माह में मिलेंगे। और यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल राकेश भदौरिया ने वायुसेना के स्थापना दिवस के मौके पर हिंडन एयरबेस पर कही। यानी सिंतबर 2019 की तय समयसीमा से 8 महीने बाद और सौदा तय होने के 3 साल बाद भारत को राफेल विमान मिलेंगे।

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इतना ही नहीं इस राफेल में, और इसके बाद मिलने वाले 10 और राफेल लड़ाकू विमानों में वह विशेष परिवर्तन यानी इंडिया स्पेसिफिक इंहांसमेंट नहीं होंगे, जिनके लिए भारत ने 1.7 अरब यूरो का भुगतान किया है। गौरतलब है कि सीएजी ने फरवरी 2019 में खुलासा किया था कि दिसंबर 2021 तक भारत को कम क्षमता वाले राफेल मिलेंगे। ये विमान वह हैं जो फ्रांस की वायुसेना को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। सीएजी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत के लिए विशेष रूप से परिवर्तित विमान सौदे पर हस्ताक्षर होने के 63 महीने यानी सवा पांच साल बाद दिसंबर 2021 में मिलेंगे।

ध्यान रहे कि केंद्र सरकार ने दावा किया था कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना की एयरस्ट्राइक के वक्त अगर भारत के पास राफेल होते तो नतीजा कुछ और ही होता। लेकिन स्पष्ट हो गया है कि भले ही प्रतीकात्मक तौर पर भारत ने पहला विमान स्वीकार कर लिया है, लेकिन वायुसेना को पूरी क्षमता के साथ मिलने वाले राफेल विमानों में अभी काफी देर है।

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सौदे के मुताबिक भारत के मिलने वाल 36 राफेल लड़ाकू विमानों को भारत की आवश्यकता के अनुरूप ढालने और विकसित करने में काफी वक्त लगेगा और अगस्त 2022 तक ही सौदे में तय सभी लड़ाकू विमान मिल पाएंगे।

लेकिन, वायुसेना प्रमुख ने राफेल विमानों की डिलीवरी में होने वाली इस देरी को अपने लिए लाभप्रद बताया। उनका तर्क है कि इस तरह भारतीय पायलटों को इन विमानों पर प्रशिक्षण के लिए और वक्त मिल जाएगा। उन्होंने कहा, “विमान अगले साल मई में भारतीय आकाश में दिखेगा। इसका फायदा यह होगा कि तब तक हमारे पायलट अच्छी तरह प्रशिक्षित हो जाएंगे। पायलटों का यह समूह बिल्कुल ऑपरेशनल स्तर तक की तैयारी कर चुका होगा।”

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वायुसेनाध्यक्ष ने इस बात से इनकार किया कि मौजूदा 36 विमानों के सौदे के इतर और 36 राफेल विमानों का सौदा फ्रांस के साथ होगा। उन्होंने संकेत दिया कि अगर दसॉल्ट को और राफेल विमान भारत को बेचने हैं तो उसे उस टेंडर में हिस्सा लेना होगा जो वायुसेना ने 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए निकाला है। उन्होंने कहा, “हमारी योजना रणनीतिक साझीदारी के आधार पर 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट हासिल करने की है।”

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बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक इसके लिए फिलहाल दसॉल्ट सहित सात फर्मों ने अपनी रुचि दिखाई है। इनमें दसॉल्ट के अलावा लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, सुखी, मिग, साब और यूरोफाइटर शामिल हैं।

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