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महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए राजनीतिक दलों को क्या पर्याप्त समय दे रहे हैं राज्यपाल ! 

महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सरकार गठन को लेकर खरीद-फरोख्त रोकने के लिए संवैधानिक रास्ता अख्तियार किया है। यह बात संविधान विशेषज्ञों ने कही। ध्यान रहे कि राज्यपाल ने शिवसेना को दो दिन का समय देने से इंकार कर दिया। सेना ने सरकार गठन के लिए समर्थन का पत्र सौंपने के लिए दो दिन का समय मांगा था।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए राज्यपाल की कोशिशों को क्या सही माना जाएगा? विशेषज्ञों की नजर में यह संवैधानिक तरीका है और राज्यपाल उसी के दायरे में काम कर रहे हैं। साथ ही इससे विधायकों की खरीद-फरोख्त की संभावनाओं पर भी ब्रेक लगा है।

Published: 12 Nov 2019, 9:39 AM IST

गौरतलब है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे पहले बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था, और उसके द्वारा असमर्थता जताने के बाद शिवसेना से सरकार बनाने के लिए पूछा। तय समयसीमा में शिवसेना ने सरकार बनाने की इच्छा तो जताई, लेकिन सरकार गठन के लिए जरूरी संख्याबल का प्रमाण देने में असफल रही। इसके बाद राजभवन ने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है और आज शाम तक का समय दिया है।

ऐसे में यह उत्सुकता बढ़ रही है कि क्या राज्यपाल का तरीका सही है? इस बारे में संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि यह संवैधानिक तरीका है और इससे विधायकों की खरीद-फरोख्त की संभावनाएं गौण हो जाती हैं।

लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप का कहना है कि, "राज्यपाल संविधान का अनुसरण कर रहे हैं। पार्टियों को एक के बाद एक बुलाकर उन्होंने एक संवैधानिक रास्ता चुना है, जिसके जरिए खरीद-फरोख्त को रोका जा सकता है।" संविधान के अनुसार, राज्य में सरकार बनाने के लिए समयसीमा के मामले में राज्यपाल का निर्णय अंतिम है, खासतौर से महाराष्ट्र में पैदा हुए एक राजनीतिक संकट के परिप्रेक्ष्य में।

Published: 12 Nov 2019, 9:39 AM IST

कश्यप ने कहा कि यदि राज्यपाल को लगता है कि कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, तब वह राष्ट्रपति को इस बारे में सूचित कर सकते हैं। कश्यप ने कहा, "यदि वह चाहें तो एनसीपी के बाद कांग्रेस को भी बुला सकते हैं। शिवसेना के मामले में संभवत: उन्हें नहीं लगा कि यह पार्टी सरकार बना पाने में सक्षम है।"

वहीं लोकसभा के पूर्व सचिव पी.डी.टी. आचारी का भी मत है कि समयसीमा के मामले में कोई निर्णय लेने के लिए राज्यपाल के पास पूरा अधिकार है। आचारी ने महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट पर कहा, "राज्यपाल की प्राथमिकता राज्य में सरकार बनाने की है। यदि उन्हें लगता है कि कोई संभावना है, तो वह निश्चित रूप से समयसीमा बढ़ा सकते हैं जिससे कोई पार्टी सरकार बना सके। लेकिन यदि उन्हें लगता है कि इसकी कोई संभावना नहीं है तो वह इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर सकते हैं।"

Published: 12 Nov 2019, 9:39 AM IST

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Published: 12 Nov 2019, 9:39 AM IST