प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 मार्च को जब अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स के ग्लोबल बिजनेस सम्मिट में मंच से भाषण दे रहे थे, उस समय रिजर्व बैंक देश के चौथे सबसे बड़े निजी बैंक पर शिकंजा कस चुका था और इसके लाखों ग्राहकों अपनी गाढ़ी कमाई खोने की आशंका में परेशान थे। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रहे थे, और अर्थव्यवस्था में सुधार का रोडमैप सामने रख रहे थे, लेकिन यह क्या संयोग था कि इस कार्यक्रम का मुख्य प्रायजोक यानी स्पॉंसर यस बैंक था और मंच की पृष्ठभूमि में बड़े अक्षरों में लिखे ग्लोबल बिजनेस सम्मिट में सबसे ऊपर बड़ा-बड़ा यस बैंक लिखा था।
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यह सिर्फ संयोग था कि विडंबना कि जिस अखबार के एक बड़े कार्यक्रम का मुख्य स्पॉंसर यस बैंक था, उसी अखबार को यस बैंक के संकट में फंसने की खबरें भी प्रकाशित करनी पड़ीं। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे लेकर काफी चुटकियां भी लीं।
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यह क्या सिर्फ संयोग है कि प्रधानमंत्री का यस बैंक के साथ किसी न किसी रूप में जुड़ाव तस्वीरों के माध्यम से बीते कुछ सालों में अक्सर नजर आता रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यस बैंक के कर्ज के जाल में फंसने की वजह कुछ संकट में घिरे कार्पोरेट द्वारा कर्ज की अदायगी न करना बताती हैं, लेकिन इनमें से कुछ ‘कर्जदार’ प्रधानमंत्री के साथ विभिन्न कार्यक्रमों में नजर आते रहे हैं।
दावोस में हुए 2015 के विश्व आर्थिक फोरम (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) में प्रधानमंत्री के साथ हीरा कारोबारी नीरव मोदी की तस्वीरें अभी भी लोगों के जहन में हैं। अगर इन तस्वीरों को ध्यान से देखें तो इनमें यस बैंक के पूर्व एमडी राणा कपूर भी नजर आ जाएंगे, जो दूसरी पंक्ति में खड़े हैं। नीचे दी गई तस्वीर में वे साफ नजर आ रहे हैं। राणा कपूर इस समय ईडी की हिरासत में हैं और उन पर पैसे की हेरफेर का आरोप है, जिसके चलते यस बैंक में लाखों ग्राहकों के पैसे संकट में फंस गए हैं।
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यस बैंक के मामले में सरकार ने बताया है कि 2017 से ही इस बैंक पर आरबीआई की नजर थी और इसमें होने वाली गड़बड़ियों के मद्देनजर आरबीआई का एक अफसर बैंक के बोर्ड में भी शामिल किया गया था। लेकिन अंग्रेजी अखबार द हिंदू में फरवरी 2018 में प्रकाशित नीचे दी गई फोटो में राणा कपूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नजर आ रहे हैं। क्या यह संयोग था कि एक तरफ आरबीआई यस बैंक पर नजर रखे हुए था और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राणा कपूर की नजदीकियां सार्वजनिक तौर पर नजर आ रही थीं।
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गौरतलब है कि बीते करीब 6 साल में यस बैंक के एनपीए यानी फंसे हुए लोन करीब 5 गुना हो चुका है। मार्च 2014 में यस बैंक का 55,633 करोड़ रुपया देनदारों पर बकाया था, जो अगले साल 2015 में 75,550 करोड़ हो गया। इसी तरह मार्च 2016 में 98,210 करोड़, मार्च 2017 में 1,32,263 रोड़ तक पहुंच गया। सरकारी दावे के मुताबिक इसी साल आरबीआई ने यस बैंक पर निगरानी करना शुरु कर दिया, लेकिन कार्पोरेट को लोन देने का सिलसिला नहीं रुका। अगले ही साल यानी 2018 में इसका लोन बढ़कर 2,30,000 करोड़ और मार्च 2019 में 2,41,499 करोड़ हो गया।
नीचे दी गई तालिका से इसे समझा जा सकता है।
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