क्या केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान नेताओं के फोन की भी जासूसी कर रही है? ऐसा अंदेशा कुछ किसान नेताओं ने जताया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें शक कि सरकार पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए उनके फोन की निगरानी कर रही है।
गौरतलब है कि देश भर के किसान दिल्ली की सीमाओं पर बीते करीब 8 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने अब मॉनसून सत्र के साथ ही दिल्ली में संसद के करीब किसान संसद लगाने का ऐलान किया था। उन्हें दिल्ली में जंतर-मंतर पर 200 किसानों के साथ किसान संसद की अनुमति मिली है। धरना स्थल पर ही एक किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि, “मौजूदा सरकार अनैतिक सरकार है। हमें शक है कि हमारे फोन नंबर भी उस सूची में शामिल हैं जिन्हें पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए निगरानी में रखा गया है।”
उन्होंने कहा कि, “सरकार इस पूरी जासूसी के पीछे है। हमारा आंदोलन फिर से तेज होने लगा है तो ऐसे में जाहिर है कि सरकार हमारे नंबर पर नजर रख रही होगी।”
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वहीं स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि वर्ष 2020-21 के डेटा में किसान नेताओं के फोन नंबर हो सकते हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि, “जब भी यह डेटा सामने आएगा तो उसमें हमारे (किसान नेताओं के) नंबर भी होंगे।”
योगेंद्र यादव ने कहा कि आंदोलनकारी किसान अब जंतर मंतर पहुंच चुके हैं और किसान मूर्ख नहीं है। उन्होंने कहा कि यूके की संसद में कृषि कानून पर चर्चा हो रही है लेकिन भारतीय संसद इस पर खामोश है। योगेंद्र यादव ने कहा कि, कृषि कानूनों पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए।
इस धरने में शामिल किसान नेता हन्ना मोलाह ने कहा कि ‘हमने सभी सांसदों को अपनी मांगों के संदर्भ में पत्र भेजा है ताकि हमारी मांगे संसद में उठाई जा सकें, लेकिन संसद ने इस मुद्दे को अभ तक नहीं उठाया है।’
ध्यान रहे कि संसद के मॉनसून सत्र के बीच ही 200 किसान जंतर मंतर पर तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ धरना दे रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने किसानों के धरना स्थल पर कड़ी पहरेदारी कर रखी है और आनेजाने वाले वाहनों की पड़ताल की जा रही है। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने किसानों को इस धरने के लिए विशेष अनुमति दी है।
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