दुनिया भर में नाम कमाने वाली सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस लिमिटेड के शेयरों ने मंगलवार को बाजार खुलते ही ऐसा गोता खाया कि शेयरों की कीमत 16 फीसदी तक लुढ़क गई। बाजार में कंपनी को लेकर यह प्रतिक्रिया कंपनी के ही कुछ गुमनाम कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद दिखी जो कर्मचारियों ने व्हिसिलब्लोअर बनकर कंपनी के सीईओ सलिल पारिख और सीएफओ निलांजन रॉय पर लगाए हैं। आरोप हैं कि इन दोनों अफसरों ने बीती कई तिमाहियों में राजस्य और मुनाफा दिखाने के लिए गलत तरीके अपनाए।
सोमवार को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के कारण शेयर बाजार बंद थे, लेकिन मंगलवार को जब बाजार खुला तो इंफोसिस का शेयर 6 साल के निचले स्तर को छूता हुआ करीब 16 फीसदी गिरकर 645 रुपए पर पहुंच गया। इस गिरावट के चलते कंपनी का मार्केट कैपिटल करीब 50,000 करोड़ रुपए घट गया।
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बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इन आरोपों के कारण इंफोसिस पर अनिश्चतता का माहौल बन सकता है और आने वाले दिनों में कंपनी के शेयरों पर दबाव बन सकता है। इस बीच इंफोसिस के संस्थापकों में से एक नंदन निलेकणी ने कर्मचारियों के आरोपों की जांच कराने की बात की है। उन्होंने कहा कि ये आरोप कंपनी की ऑडिट कमिटी के पास पहुंच गए हैं और पूरे मामले की पूरी तरह से स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की जाएगी। जांच के लिए इंफोसिस के सीईओ और सीएफओ दोनों को इस मामले से अलग कर दिया गया है।
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दरअसल इंफोसिस के कुछ कर्मचारियों ने अपना नाम बताए बिना एथिकल इंपलाइज़ के नाम से पिछले महीने (20 सितंबर को) कंपनी के बोर्ड एक पत्र लिखा था। इस पत्र को डेक्कन हेरल्ड ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया। पत्र में कहा गया है कि सीईओ सलिल पारिख और सीएफओ निलांजन रॉय पिछली कई तिमाहियों से कंपनी में कुछ गड़बड़ी कर रहे हैं। इसके सबूत में उनके ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग भेजा जा रहा है
लेकिन कंपनी के बोर्ड ने इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद इस ग्रुप ने 3 अक्टूबर को अमेरिका के व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन प्रोग्राम को पत्र लिखा और बताया कि अप्रैल 2019 से सितंबर 2019 तिमाही तक इंफोसिस की बैलेंसशीट्स में अकाउंटिंग से जुड़ी गड़बड़ियां की गई हैं। मनी कंट्रोल डॉट कॉम के मुताबिक व्हिसलब्लोअर ने पत्र में लिखा कि, "पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में हमें कहा गया है कि वीजा कॉस्ट को पूरी तरह ना जोड़ा जाए ताकि कंपनी का प्रॉफिट बेहतर दिखे। हमने इस बातचीत की वॉइस रिकॉर्डिंग भी कर ली है। वित्त वर्ष 2019-20 में तिमाही नतीजों के दौरान हमपर इस बात का दबाव बनाया गया था कि 5 करोड़ डॉलर के अपफ्रंट पेमेंट के लौटाने का जिक्र न किया जाए। ऐसा होने से कंपनी का मुनाफा कम दिखेगा और इसका असर शेयरों की कीमत पर पड़ेगा। "
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