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असमानता और महंगाई के कारण मंदी की मार, देश अपनी सबसे अनिश्चित और कठिन आर्थिक स्थिति से गुजर रहा: कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सभी भौगोलिक क्षेत्रों में असमानता चरम पर है। आंकड़ों से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘अरबपति राज’ ब्रिटिश राज की तुलना में अधिक असमान है।

असमानता और महंगाई के कारण मंदी की मार, देश अपनी सबसे अनिश्चित और कठिन आर्थिक स्थिति से गुजर रहा: कांग्रेस
असमानता और महंगाई के कारण मंदी की मार, देश अपनी सबसे अनिश्चित और कठिन आर्थिक स्थिति से गुजर रहा: कांग्रेस फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि देश में वेतन में स्थिरता, असमानता और महंगाई के कारण ‘मंदी’ की स्थिति है और भारत कई वर्षों में अपने सबसे अनिश्चित और कठिन आर्थिक हालात से गुजर रहा है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले तीन दशकों से भारत की विकास गाथा उपभोग में वृद्धि की कहानी थी। करोड़ों परिवारों के गरीबी से निकलकर मध्यम वर्ग में प्रवेश करने की कहानी, जो नए उत्पाद खरीदने और संपत्ति बनाने में सक्षम थे। यह एक संपन्न अर्थव्यवस्था का संकेत था, जो तेज़ी से बढ़ रही थी और जो अपने लाभ को व्यापक रूप से वितरित कर रही थी।’’

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उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में देश में उपभोग की कहानी अब उल्टा घूम गई है और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। रमेश ने कहा, ‘‘भारत का कारोबारी समुदाय भी अब इसी सुर में सुर मिला रहा है, एक प्रमुख सीईओ ने यहां तक कह दिया है कि भारत में मध्यम वर्ग "सिकुड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि वेतन में स्थिरता, महंगाई और असमानता के कारण यह ‘मंदी’ की स्थिति है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हाल ही में जारी उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण 2022-2023 जैसे सरकार के आधिकारिक आंकड़ों सहित डेटा के कई स्रोतों से इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं कि 10 साल पहले की तुलना में श्रमिकों की क्रय शक्ति घट गई है। चिंता की बात यह है कि इन स्थिर मजदूरी दर का संबंध भारत के श्रमिकों की उत्पादकता में गिरावट से हो सकता है, जो हाल के वर्षों में सिकुड़ रही है।’’

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रमेश ने उच्च महंगाई दर का उल्लेख करते हुए कहा, ‘भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य ने कहा है, पिछले दशक में अडानी समूह सहित 5 बड़े समूहों का उदय हुआ है, जो 40 क्षेत्रों (सीमेंट सहित रसायन, पेट्रोल, निर्माण, आदि) में एकाधिकार स्थापित कर रहे हैं। 2015 में जब एक आम आदमी 100 रुपए की खरीदारी करता था तब उद्योगपति को इसका 18 प्रतिशत हिस्सा जाता था, अब 100 रुपए में से उसी मालिक को 36 रुपए का मुनाफा होता है।’’

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उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महंगाई बढ़ने के लिए सरकार द्वारा मित्रवादी पूंजीवाद को बढ़ावा देने की नीतियां और इन समूहों को संरक्षण देना ज़िम्मेदार है। रमेश ने कहा, ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहिया वाहनों की बिक्री, जो आर्थिक विकास का एक प्रमुख संकेतक है- अभी भी 2018 की तुलना में कम है। सभी भौगोलिक क्षेत्रों में असमानता चरम पर है। आंकड़ों से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘अरबपति राज’ ब्रिटिश राज की तुलना में अधिक असमान है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत वर्तमान में अपनी सबसे अनिश्चित और कठिन आर्थिक स्थिति में है। वेतन स्थिरता, मुद्रास्फीति और असमानता केवल राजनीतिक मुद्दे नहीं हैं, बल्कि वे भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं के लिए बेहद हानिकारक हैं। वे भारत की उपभोग वृद्धि को कमज़ोर कर रहे हैं और निजी क्षेत्र को निवेश के लिए मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण प्रोत्साहन से वंचित कर रहे हैं।’’

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