कोरोना वायरस की मार अर्थव्यवस्था के हर पहलू को प्रभावित कर रही है। वायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां इस साल अप्रैल महीने में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। बुधवार को सामने आई एक मासिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के कारण जनजीवन और कारोबारी गतिविधियों के चलते सर्विस सेंक्टर ठप सा हो गया है। आईएचएस मार्केट इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स अप्रैल 2020 में भारी गिरावट के साथ 5.4 पर आ गया। पिछले महीने यानी मार्च में यह 49.3 पर था। इंडेक्स के ताजा आंकड़े बताते हैं दिसंबर 2005 से इस सेक्टर का रिकॉर्ड रखने की शुरुआत के बाद से यह अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंची है।
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गौरतलब है कि इंडेक्स 50 के जितना नीचे रहता है, क्षेत्र में उतनी ही बड़ी गिरावट का पता चलता है। आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के मुताबिक इंडेक्स यदि 50 से ऊपर रहता है, तो इससे संबंधित कारोबारी क्षेत्र में विस्तार होने का पता चलता है। इसके उलट यदि इंडेक्स 50 से नीचे रहता है, तो इससे संबंधधित कारोबारी क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट का पता चलता है। इंडेक्स 50 से जितना नीचे रहता है, कारोबारी क्षेत्र में उतनी ही अधिक गिरावट का पता चलता है। आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री जो हाएस ने कहा कि इंडेक्स में 40 से ज्यादा अंकों की गिरावट से पता चलता है कि सख्त लॉकडाउन के कारण सेवा क्षेत्र पूरी तरह से ठहर चुका है।
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इस बीच कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स में भी गिरावट दर्ज हुई है और यह 50.6 से गिरकर 7.2 पर आ गया। इससे पता चलता है कि समग्र यानी हर तरह की आर्थिक गतिविधियों में दिसंबर 2005 में आंकड़ों का रिकॉर्ड रखने की शुरुआत किए जाने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट आई है। कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स सेवा और मैन्यूफैक्चरिंग दोनों ही क्षेत्रों की गतिविधियों को प्रदर्शित करता है। अंतरराष्ट्रीय बिक्री के मामले में सर्वेक्षण के सभी पैनल्स ने गिरावट की बात कही। इससे संबंधित इंडेक्स गिरकर शून्य पर आ गया।
इसी तरह जीडीपी के आंकड़ों की ऐतिहासिक तुलना से पता चलता है कि अप्रैल में भारतीय अर्थव्यवस्था में साल-दर-साल आधार पर 15 फीसदी की गिरावट आई है। इससे स्पष्ट है कि कोरोना वायरस संकट का भारत पर बहुत गहरा और व्यापक आर्थिक असर हुआ है।
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रोजगार के बारे में सर्वेक्षण में कहा गया कि कारोबारी जरूरतों में गिरावट के कारण सेवा क्षेत्र की कुछ कंपनियों ने अप्रैल में कर्मचारियों की संख्या में कटौती की। कर्मचारियों की छंटनी रिकॉर्ड स्तर पर हुई, लेकिन करीब 90 फीसदी पैनल्स ने कहा कि उनके कर्मचारियों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया है।
इस बीच मांग घटने से कीमतों में भी भारी गिरावट देखने को मिली है। कीमतों के बारे में किए गए सर्वे में सामने आया है कि मार्च के मुकाबले इनपुट और आउटपुट कीमतों में गिरावट आई है।
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