भारत की शान तिरंगा यूपी के मेरठ की देन है। क्रांति की धरती मरेठ के नत्थे सिंह ने इसे बनाया था। तिरंगे की रूपरेखा भले ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिंगली वेंकैया ने तैयार की थी, मगर आजाद भारत में राष्ट्रध्वज को अपने हाथों से तैयार करने वाले सबसे पहले व्यक्ति यूपी के नत्थे सिंह ही थे। 1925 में जन्मे मेरठ के सुभाष नगर निवासी नत्थे सिंह ने आजाद भारत का पहला तिरंगा बनाया था। उस समय नत्थे सिंह की उम्र लगभग 22 वर्ष थी। उन्होंने तब से तिरंगा झंडा बनाने के काम को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। नत्थे के साथ उनका परिवार भी तिरंगा बनाने के काम में जुट गया। साल 2019 में नत्थे सिंह का निधन हो गया।
नत्थे सिंह के निधन के बाद अब उनका बेटा रमेश चंद अपने परिवार सहित तिरंगा बनाने का काम कर रहे हैं। रमेश की पत्नी और दो बेटियां भी तिरंगा बनाने में हाथ बटाती हैं। वह कहती हैं, "हम अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं, क्योंकि आजाद भारत की शान तिरंगा बनाने का सौभाग्य सबसे पहले हमारे पिताजी (श्वसुर) को मिला और अब हम भी तिरंगा बनाकर देश की सेवा कर रहे हैं।"
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नत्थे सिंह के बेटे रमेश ने याद करते हुए कहा कि उनके पिता ने बताया था कि जब देश आजाद हुआ और संसद भवन में मीटिंग हुई, उसके बाद क्षेत्रीय गांधी आश्रम, मेरठ को पहली बार तिरंगा बनाने का काम सौंपा गया। यहां पर आजाद भारत के पहले राष्ट्रध्वज को बनाने की जिम्मेदारी नत्थे सिंह को ही दी गई थी।
रमेश ने बताया, "उस समय हमारे घर में बिजली नहीं होती थी। हमारे घर पर्याप्त तेल भी नहीं था लालटेन जलाने के लिए। तब पिताजी (नत्थे सिंह) ने पड़ोसियों के घर से तेल मांगकर लालटेन जलाई, जिसकी रोशनी में झंडे बनाने का काम शुरू किया गया। एक वो दिन है और आज का दिन है, मेरठ में तिरंगा बनाने का कारोबार काफी फला-फूला। आज देशभर में मेरठ के बने तिरंगे की काफी डिमांड रहती है। सरकारी कार्यालय हो या फिर प्राइवेट संस्थान, सभी पर मेरठ का बना तिरंगा ही फहरता है।"
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