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2022 में भारत का सरकारी क्षेत्र रहा हैकर्स के निशाने पर, पिछले साल के मुकाबले 95 प्रतिशत वृद्धि हुई

भारत में हाल में एम्स को बड़े पैमाने पर रैंसमवेयर हमले का सामना करना पड़ा, जिसने कई दिनों तक इसके नेटवर्क को चरमरा दिया। इसके बाद जल शक्ति मंत्रालय के ट्विटर हैंडल दो बार हैक किया गया। फिर आईआरसीटीसी से लगभग तीन करोड़ यात्रियों का डेटा हैक कर लिया गया।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

भारत के सरकारी क्षेत्रों को निशाना बनाने वाले साइबर हमलों की संख्या में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2022 की दूसरी छमाही में 95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शुक्रवार को एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई। हालाकि हैक्टिविज्म के अलावा अन्य कारणों से भी यह वृद्धि हुई है।

क्लाउडएसईके की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सरकारी एजेंसियां व्यापक फिशिंग अभियानों के लिए पसंदीदा लक्ष्य बन गई हैं। इसका प्राथमिक मकसद डेटा हासिल कर इसे मौद्रिक लाभों के लिए बेचना है। हमले के अन्य कारण भी हैं। यह परिवर्तन पिछले दशक में विभिन्न एपीटी समूहों और हैक्टिविस्ट अभियानों के उद्भव से स्पष्ट है।

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हाल में भारत के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान एम्स को बड़े पैमाने पर रैंसमवेयर हमले का सामना करना पड़ा, जिसने कई दिनों तक इसके नेटवर्क को चरमरा दिया। साथ ही रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे के साथ पंजीकृत लगभग तीन करोड़ यात्रियों का डेटा आईआरसीटीसी से हैक कर लिया गया है और कथित तौर पर डार्क वेब पर बिक्री के लिए रखा गया है।

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रेलवे ने बाद में भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के सर्वर से डेटा के संदिग्ध उल्लंघन के दावों का खंडन किया है। इससे पहले जल शक्ति (जल संसाधन) मंत्रालय के ट्विटर हैंडल को भी दिसंबर में दो बार हैक किया गया था, जो फर्जी क्रिप्टोकरंसी गिवअवे स्कैम को बढ़ावा दे रहा था।

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रिपोर्ट के अनुसार भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया और चीन पिछले दो वर्षों में साइबर अटैक के सबसे अधिक लक्षित देश बने रहे। सबसे खास बात है कि इन देशों में सरकारी विभाग और संस्थान प्रमुख तौर पर हैकर्स के निशाने पर रहे। इन चार देशों में सरकारी क्षेत्र में कुल रिपोर्ट की गई घटनाओं का 40 प्रतिशत हिस्सा है।

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