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भारत से बांग्लादेश जानें सभी ट्रेनों का परिचालन रद्द, हिंसक प्रदर्शन के बाद फैसला

सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने घोषणा की कि शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा।

भारतीय रेल ने किया बांग्लादेश के लिए सभी ट्रेनों का परिचालन स्थगित
भारतीय रेल ने किया बांग्लादेश के लिए सभी ट्रेनों का परिचालन स्थगित फोटो: IANS

भारतीय रेलवे ने बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच सोमवार को पड़ोसी देश जाने वाली सभी ट्रेनों का परिचालन स्थगित कर दिया। शेख हसीना ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और छात्रों के नेतृत्व में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर चली गई हैं। इसी के मद्देनजर रेलवे ने ये फैसला लिया है।

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प्रभावित ट्रेनों में कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस (13109/13110), कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस (13107/13108), कोलकाता-खुलना-कोलकाता बंधन एक्सप्रेस और ढाका-न्यू जलपाईगुड़ी-ढाका मिताली एक्सप्रेस शामिल हैं।

सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने घोषणा की कि शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा।

उन्होंने नागरिकों से बांग्लादेशी सेना पर भरोसा करने की अपील की और उन्हें आश्वासन दिया कि रक्षा बल आने वाले दिनों में शांति सुनिश्चित करेंगे।

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जनरल वकर-उज-जमान ने यह भी कहा कि वह जल्द ही राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मुलाकात करेंगे।

 यह घटनाक्रम रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों के बाद सामने आया, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 1,000 से अधिक लोग घायल हो गए।

 देश के प्रमुख दैनिक 'द डेली स्टार' ने बताया कि "सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या केवल तीन हफ्ते में 300 को पार कर गई है, जिससे यह बांग्लादेश के नागरिक आंदोलन के इतिहास में सबसे खूनी दौर बन गया है।"

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छात्र 1971 में खूनी गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ढाका के अधिकारियों के अनुसार, 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों और उनके समर्थकों द्वारा किए गए नरसंहार में 30 लाख लोग मारे गए थे।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण को घटाकर 5 प्रतिशत करने के बाद छात्र नेताओं ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया था, लेकिन प्रदर्शन फिर से तब भड़क गया जब छात्रों ने कहा कि सरकार ने उनके सभी नेताओं को रिहा करने के उनके आह्वान को नजरअंदाज कर दिया और प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग की।

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