भारत में पांच में से तीन पत्रकारों को कभी न कभी धमकी या दबाव का सामना करना पड़ता है। ये धमकियां ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर के साथ-साथ निजी संदेश ऐप जैसे व्हाट्स ऐप के जरिए दी जाती हैं। यह जानकारी शुक्रवार को एक सर्वेक्षण में दी गई।
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धमकी/उत्पीड़न का सामना करने वालों में से 35 फीसदी का मानना है कि उन्हें उनकी द्वारा की गई खबर के रिपोर्ट करने के तरीके या दृष्टिकोण की वजह से निशाना बनाया गया।
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नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) के साथ विजन फाउंडेशन द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि कुल उत्तरदाताओं में से 29 फीसदी ने कहा कि उन्हें साल में एक बार धमकी मिली, जबकि 19 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें महीने में कई बार धमकियां मिलीं।
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धमकी पाने वालों में करीब 46 फीसदी ने दावा किया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे ट्विटर या फेसबुक इसके माध्यम रहे। इसके साथ ही 17 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें निजी संदेश ऐप जैसे व्हाट्स ऐप से धमकियां दी गईं।
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दूसरी तरफ 76 फीसदी पत्रकारों ने कहा कि उनके संस्थानों में कोई सुरक्षा प्रोटोकॉल मौजूद नहीं है और उन्हें सुरक्षा मुद्दों को लेकर प्रशिक्षित भी नहीं किया जाता। साल 2019 में काम संबंधी मुद्दों के कारण चार पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है।
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