कोरोना वायरस के कहर से लगभग पूरी दुनिया परेशान है। बड़े देशों का तो और भी बुरा हाल है। चीन के बाद इटली और स्पेन में इस वायरस ने हजारों जिंदगियां लील ली है। अमेरिका और ब्रिटेन भी कोरोना वायरस के आगे बेबस हैं। इससे बचाव के लिए पॉलिसीमेकर्स और रिसर्चर्स दिन रात समाधानों की तलाश में लगे हुए हैं। लेकिन अभी इस वायरस पर पार पाने में सफलता नहीं मिली है। कोई भी देश इस पर नियंत्रण रख पाने में सफल नहीं हो पा रहा। हजारों की संख्या में रोज नए मामले आ रहे हैं। इसी बीच कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़े भारतीय मूल के दो स्कॉलर्स ने एक नया मैथमेटिकल मॉडल तैयार किया है। इस मॉडल का अनुमान है कि भारत में 21 दिन के मौजूदा लॉकडाउन से वायरस पर नियंत्रण पाना मुमकिन नहीं लगता।
Published: 30 Mar 2020, 8:30 PM IST
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर मैथमेटिकल साइंस से जुड़े राजेश सिंह और आर अधिकारी की ओर से तैयार मॉडल ने भारत के सामाजिक संपर्क के अनोखे आयाम को इंगित किया है। इसी का हवाला देकर उनकी दलील है कि भारत के सामाजिक ढांचे की वजह से वायरस यहां चीन और इटली की तुलना में अलग बर्ताव कर सकता है। मॉडल में केस की संख्या, आयुवर्ग के हिसाब से बंटवारा, सामाजिक संपर्क ढांचे के हिसाब से भारत, चीन और इटली की तुलना की गई है। इसमें Prem et.al. नाम के एक दूसरे चर्चित संकलन का भी इस्तेमाल किया गया है जो कॉन्टेक्ट सर्वे और जनसांख्यिकीय आंकड़ों (डेमोग्रेफिक डेटा) के जरिए 152 देशों के सामाजिक संपर्क सांचे को प्रोजेक्ट करता है।
मॉडल ने संक्रमण के तीन पीढ़ियों में फैलने की वजह के लिए ठेठ भारतीय घरों के स्वरूप की पहचान की है। भारत की तुलना में चीन में इस तरह के संपर्क की संख्या कम है, वहीं इटली में ये नगण्य है।
Published: 30 Mar 2020, 8:30 PM IST
कोराना वायरस के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए जर्मनी ने मुख्य तौर पर सामाजिक संपर्क ढांचे का इस्तेमाल किया है। यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे कम मृत्यु दर जर्मनी की है। दरअसल जर्मनी ने उन लोगों को सबसे पहले अलग किया जिन पर इस वायरस का खतरा सबसे ज्यादा है। मतलब ये कि जर्मनी ने ये सुनिश्चित किया कि वहां दादा-दादी या नाना-नानी, जिनमें संक्रमण की संभावना सबसे अधिक है, वो युवा पीढ़ी से दूर रहें। क्योंकि युवा पीढ़ी के जरिए दूसरों में संक्रमण तेजी से फैल सकता है।
Published: 30 Mar 2020, 8:30 PM IST
आजतक की खबर के मुताबिक राजेश सिंह और आर अधिकारी ने भारत की घर, दफ्तर और समाज में अन्यत्र विभिन्न नियंत्रण उपायों की गणना से ये निष्कर्ष निकले हैं। उनके मुताबकि इस स्टेज पर 21 दिन का लॉकडाउन ही सिर्फ वायरस के फैलाव को काबू में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में लॉकडाउन हटते ही इस वायरस के दोबारा तेजी से फैलने का खतरा है। इस मॉडल के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी भारत में 73 दिन के अंदर 2,727 लोगों की मौत हो सकती है। मॉडल ने घरों में तीन पीढ़ियों में संभावित संक्रमण के फैलाव का अनुमान व्यक्त किया है। इसमें ये भी कहा गया है कि भारत में 15-19 आयुवर्ग सबसे बड़ा संवाहक या कैरियर हो सकता है और सबसे ज्यादा मृत्यु 60-64 आयुवर्ग के लोगों की हो सकती है।
Published: 30 Mar 2020, 8:30 PM IST
मैथमेटिकल मॉडल ने लॉकडाउन की दो किस्मों की अवधि और अंतराल की गणना की है जो असल में संक्रमण के स्तर को 50 से कम लोगों तक ला सकता है। मॉडल ने दो परिदृश्यों का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। गणित के मुताबिक तीन लगातार लॉकडाउन, (पहला 21 दिन का, दूसरा 28 दिन का और तीसरा 18 दिन का) कारगर हो सकते हैं। हर लॉकडाउन के बीच पांच दिन के अंतराल का सुझाव दिया गया है। ऐसा करने से संक्रमण की संख्या जून के मध्य तक 50 के नीचे आ सकती है। मॉडल एक और गणित विकल्प 49 दिन के लगातार लॉकडाउन का सुझाव देता है। 49 दिन का लगातार लॉकडाउन मध्य मई तक संक्रमण को 50 के नीचे लाना सुनिश्चित कर सकता है।
Published: 30 Mar 2020, 8:30 PM IST
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Published: 30 Mar 2020, 8:30 PM IST