आयकर विभाग ने आधिकारिक बयान में कहा है किा, "डेरिवेटिव्स (वायदा और विकल्प) को पूंजीगत संपत्ति नहीं माना जाएगा और डेरिवेटिव्स के हस्तांतरण से प्राप्त आय को व्यवसायिक आय माना जाएगा और उस पर सामान्य दर से कर का भुगतान करना होगा।"
कर विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्पष्टीकरण ने सरकार से घोषणा से हुए फायदे की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और रिटर्न फाइल करने को काफी जटिल बना दिया है। उनमें से एक ने कहा कि संरचना को 'बेहद हास्यापद तरीके से जटिल बना दिया गया है'।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार शाम प्रेस कांफ्रेंस कर ऐलान किया था कि एफपीआई और घरेलू निवेशकों को सरचार्ज नहीं देना होगा।
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टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर विभाग ने जो सफाई दी है उससे राहत मिलने के बजाय मुश्किल और बढ़ गई है। उन्होंने कहा, "तो, इसका क्या मतलब है कि सूचीबद्ध संस्थाओं से होने वाले पूंजीगत लाभ पर सभी को उच्च सरचार्ज से छूट दी जाएगी। लेकिन जब बात डेरिवेटिव की आती है, तो एफपीआई की आय पर कम दर और कम सरचार्ज लगेगा, लेकिन अन्य सभी इकाइयों पर उच्च सरचार्ज लगेगा।" विशेषज्ञों का कहना है कि यहां तक अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड (एआईएफ) को भी उच्च सरचार्ज देना होगा।
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ग्रांट थार्टन एडवाइजरी प्रा. लि. के रियाज थिंगना ने कहा, "डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर व्यावसायिक आय पर केवल एफपीआई को उच्च सरचार्ज नहीं लगेगा। हालांकि एआईएफ जैसी संस्थाओं को राहत नहीं मिलेगी। सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के बीच कर का अंतर भी बढ़ गया है। संक्षेप में, इससे कर अनुपालन में जटिलताएं पैदा होंगी और केवल आंशिक राहत मिलने की ही संभावना है।"
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