देश के जिन राज्यों में बीजेपी की सरकारें, वहां से अक्सर सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आती रहती हैं और इस तथ्य को अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी स्वीकार कर लिया है। यह बात गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट से सामने आई, जिसे गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने 6 फरवरी को संसद में पेश किया। इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि 2016 के मुकाबले 2017 में उन राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जहां बीजेपी सत्ता में है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में सांप्रदायिक हिंसा की 822 घटनाएं हुईं, जिनमें 111 लोग मारे गए और 2384 लोग घायल हुए। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में सांप्रदायिक हिंसा की 703 घटनाएं हुई थीं, जिनमें 86 लोगों की मौत हो गई थी और 2321 लोग घायल हुए थे।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में सबसे ज्यादा लोगों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई हैं। 2017 में राज्य में कुल 195 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि 2016 में ये संख्या 101 थी। इन घटनाओं में 44 लोगों की जान चली गई। यह बढ़ोतरी लगभग दोगुनी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पिछले साल मार्ट में ही बीजेपी सत्ता में आ गई थी और योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ताजपोशी हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी स्थिति ठीक नहीं है, जहां बीजेपी की ही सरकारें हैं। राजस्थान में 2017 में कुल 91 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं, जबकि 2016 में वहां 63 सांप्रदायिक हिंसा के मामले दर्ज किए गए थे। इसी तरह मध्य प्रदेश में साल 2017 में 60 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज की गईं जबकि 2016 में ऐसे मामलों की संख्या 57 थी। इन दोनों राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं।
वहीं बीजेपी और जेडीयू की सरकार में बिहार की स्थिति भी अच्छी नहीं है। बिहार में 2016 में सांप्रदायिक हिंसा की 65 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि पिछले साल 2017 में इस तरह की 85 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 3 लोगों की मौत हुई और 321 लोग घायल हो गए। ऐसी हालत तब है जब जंगलराज का उलाहना दिए जाने वाले आरजेडी से गठबंधन तोड़कर जेडीयू ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी के सत्ता में आते ही बिहार में भी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में स्थिति इसके बिल्कुल उलट है। कर्नाटक में 2016 में जहां 101 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं, वहीं 2017 में ये संख्या घटकर 100 रह गई। इससे स्पष्ट होता है कि सिद्धारमैया सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा पर भले पूरी तरह काबू नहीं किया हो, लेकिन ऐसी घटनाओं को बढ़ने से रोककर अपनी स्थिति पहले से बेहतर की है। कर्नाटक में भी इसी साल चुनाव होने हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय की यह रिपोर्ट काफी अहम मानी जा सकती है।
वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में पिछले साल हुई 58 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में 9 लोगों की मौत हुई और 230 लोग जख्मी हुए। गुजरात में भी पिछले साल 50 दंगे हुए, जिनमें 8 लोग मारे गए।
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