कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि संसद के कल से शुरू हो रहे मानसून सत्र में सरकार की 11 अध्यादेश लाने की योजना है लेकिन पार्टी कृषि और बैंकिंग अधिनियम में बदलाव संबंधी विधेयकों का कड़ा विरोध कर अर्थव्यवस्था, कोरोना और सीमा पर चीनी घुसपैठ के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी।
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जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि कृषि संबंधी विधेयकों में किसान को मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य देने जैसी सुविधा देने की व्यवस्था को खत्म करने का प्रावधान है। इन अध्यादेशों से MSP और सरकारी खरीद, जो हमारी खाद्य सुरक्षा के स्तम्भ हैं, वो न केवल कमजोर होंगे बल्कि खत्म हो जाएंगे। जो किसानों के हित में बिलकुल नहीं है।
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उन्होंने आगे कहा, “जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के सांसद शांता कुमार जी के नेतृत्व में एक समिति की रिपोर्ट फ़ाइनल की गयी थी और वो रिपोर्ट सरकार को भी पेश की गयी थी और उसी रिपोर्ट की सिफ़ारिश के आधार पर ये अध्यादेश आए हैं। इन अध्यादेशों को लाने से पहले केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया। जबकि संविधान के अनुसार कृषि तो राज्यों की सूची में आती है।”
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इसी तरह से बैंकिंग विधेयक में बदलाव कर किसानों के ऋण में छूट संबंधी अधिकारों को खत्म कर आम लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाला प्रावधान है। एक और अध्यादेश है, जो वित्त मंत्रालय से संबंधित है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम में जो संशोधन किया जा रहा है, उसका भी हम स्पष्ट तरीके से विरोध करते हैं। इस अधिनियम के तहत सारे सहकारी बैंक, जिन पर राज्य सरकारों का विनियमन चलता है, अब वो विनियमन RBI करेगा।
उन्होंने आगे कहा, “सहकारी बैंकों की सदस्यता में भी बदलाव लाया जा रहा है, ताकि जो किसान नहीं है या सहकारी बैंक के सदस्य नहीं है, उनको भी इनमें शेयर मिल सके। ये संविधान के खिलाफ है, राज्यों के खिलाफ है।”
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उन्होंने आगे कहा कि ग्यारह में से चार ऐसे अध्यादेश हैं, जिसमें तीन कृषि संबंधित और एक बैंकिंग विनियमन अधिनियम के संशोधन से संबंधित अध्यादेशों का हम स्पष्ट तरीके से विरोध करते हैं। बाकी बचे सात अध्यादेश जिसमें से दो अध्यादेश ऐसे हैं जो सांसद और मंत्रियों के वेतन में 30% की कटौती कर रहे हैं, हम उसका पूरा समर्थन करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस समय हमारे सामने देश में कितने गंभीर मुद्दे हैं चाहे वो कोरोना हो या अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, गरीबी, या MSME, उद्योग, व्यापार सब बंद पड़ें हैं या चीन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे, जिस पर पिछले कई महीनों में हो-हल्ला हुआ, उस पर भी हम स्पष्टीकरण चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल तो खत्म कर ही दिया गया है लेकिन हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री जी राज्यसभा और लोकसभा में रहें, हालांकि प्रधानमंत्री जी आते नहीं हैं पर जो स्थिति है उसको देखते हुए वो आएं और हमारे सवालों का जवाब दें ताकि गंभीर मुद्दों पर सही तरह से विचार विमर्श हो।
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