प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी,
जैसा कि आपसे वादा था, आपके लिए आज का तीन प्रश्नों का सेट प्रस्तुत है, जो HAHK (हम अडानी के हैं कौन) श्रृंखला में दसवां है। ये प्रश्न आपके द्वारा अपने पूंजीपति मित्रों को ज़्यादा अमीर बनाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, विशेषकर इजरायल के साथ हमारे दीर्घकालिक रक्षा संबंधों का इस्तेमाल करने के संदर्भ में है।
यह सार्वजनिक जानकारी में है कि आपके करीबी मित्र गौतम अडानी आपकी अनेक विदेशी यात्राओं के दौरान आपके साथ गए। 4 -6 जुलाई, 2017 की आपकी इजराइल यात्रा के बाद आपने उन्हें भारत- इजराइल रक्षा संबंधों के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली प्रभावशाली भूमिका सौंप दी हैl आपके आशीर्वाद से, उन्होंने ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे विविध क्षेत्रों में इज़राइली फर्मों के साथ मिलकर उपक्रम स्थापित किए हैं। जिस तरह से अडानी समूह को कुछ वर्षों से विदेशी शेल कंपनियों के साथ उसके संबंधों के लिए विश्वसनीय आरोपों का सामना करना पड़ा है, उनको ध्यान में रखते हुए क्या इस तरह के महत्वपूर्ण रक्षा संबंधों को एक ही संदिग्ध समूह को सौंपना हमारे राष्ट्रीय हित में है? क्या आपके और सत्तारूढ़ दल के साथ ये कोई आपसी लेनदेन का मामला है?
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भारत में लंबे समय से कई ऐसी स्टार्टअप और स्थापित फर्में हैं जो नागरिक और सैन्य अनुप्रयोगों के लिए ड्रोन का विकास, निर्माण और संचालन करती रही हैं। इनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और भारत डायनेमिक्स जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं। फिर भी एल्बिट कंपनी को अडानी समूह के साथ ड्रोन के निर्माण के लिए एक संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति प्रदान की गई, जिसके पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में कार्य करने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। दिसंबर 2018 में, इस उद्यम ने हर्मीस 900 ड्रोन बनाने के लिए एक कारखाना स्थापित किया और बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप ‘अल्फा डिज़ाइन’ का भी अधिग्रहण कर लिया। 1 सितंबर 2021 में अल्फा को भारतीय सेना से 100 अटैक ड्रोन का ऑर्डर मिलने के बाद इस अधिग्रहण का भुगतान शुरू हुआ। सरकार हमारे सशस्त्र बलों की आपातकालीन आवश्यकताओं का लाभ उठाते हुए स्टार्टअप्स कंपनियों के साथ-साथ स्थापित भारतीय फर्मों की कीमत पर अडानी ड्रोन के लिए एकाधिकार स्थापित करने की प्रक्रिया को सुगम क्यों बना रही है?
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भारत में लंबे समय से अनेक ऐसे स्टार्टअप और आयुध कारखाने हैं जो ड्रोन के साथ-साथ नागरिक और सैन्य बाजारों के लिए छोटे हथियारों का विकास और निर्माण करते हैं। फिर भी सितंबर 2020 में अडानी ने ग्वालियर स्थित ‘पीएलआर’ सिस्टम्स में बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली, जो इज़राइल वेपन इंडस्ट्रीज (आईडब्लूआई) के साथ मिलकर विभिन्न श्रेणियों के छोटे हथियार बनाती है। आईडब्लूआई द्वारा निर्मित टेवर असॉल्ट राइफल, गैलील स्नाइपर राइफल और नेगेव लाइट मशीन गन जैसे हथियारों का भारतीय सेना पहले से ही इस्तेमाल कर रही है और अडानी द्वारा यह अधिग्रहण आपके मित्र को एक दीर्घकालिक रक्षा संबंध का हस्तांतरण करता है। क्या हमारे सैनिकों के हित आपकी वित्तीय ज़रूरतों के समक्ष गौण हैं ?
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