राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को ‘घोर निराशाजनक’ और केवल ‘सरकार की तारीफों के पुल बांधने वाला’ करार देते हुए कहा कि इसमें न तो कोई दिशा है और ना ही कोई दृष्टि है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान खड़गे मोदी सरकार पर जमकर बरसे। खड़गे ने कहा कि विपक्ष नीट पेपर लीक, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बोलना चाहता है लेकिन पीएम मोदी मंगलसूत्र और मुजरा की बात करते हैं।
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसी राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने छाती ठोक कर विपक्ष को ललकारते हुए कहा था कि एक अकेला सब पर भारी... लेकिन मैं यह पूछना चाहता हूं एक अकेले पर आज कितने लोग भारी हैं, चुनावी नतीजे ने दिखा दिया है... दिखा दिया है कि देश का संविधान और देश की जनता सब पर भारी है। लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को जगह नहीं है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, प्रजातंत्र में प्रजा ही मालिक है। देश के इतिहास में यह पहला चुनाव था, जिसमें संविधान की रक्षा मुद्दा बना। बीजेपी ने 400 पर का नारा दिया और उसके कई नेताओं ने तो यहां तक कहा कि बीजेपी संविधान बदलेगी।
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खड़गे ने कहा कि इस वजह से ‘इंडिया’ गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी। उन्होंने कहा, जनता ने यह महसूस किया कि बाकी मसले आते जाते रहेंगे पर संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र रहेगा और चुनाव भी होंगे और हम और आप यहां बैठेंगे। इस लड़ाई में नागरिकों ने विपक्ष का साथ दिया। गरीबों, किसानों, मजदूरों, पीड़ितों, शोषितों और महिलाओं ने हमारा सबका साथ दिया और लोकतंत्र को बचाने का बचाने का बहुत बड़ा काम किया।
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खड़गे ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में कहा कि पिछले 10 साल केवल ट्रेलर था, अभी असली पिक्चर बाकी है। पिक्चर कैसी होगी, इसका अंदाजा पिछले एक महीने में हुए कामों को देखकर लगा सकते हैं। NEET पेपर लीक, UGC-NET पेपर लीक, NEET-UG रद्द, CSIR NET रद्द, भीषण ट्रेन दुर्घटना, जम्मू-कश्मीर में 3 बड़े आतंकी हमले, राम मंदिर की छत लीक, तीन दिन में तीन हवाई अड्डों की छत टूटी, बिहार में 15 दिन में पांच पुल टूटे, टोल टैक्स बढ़ा, रुपए में ऐतिहासिक गिरावट
तमाम परीक्षाओं में पेपर लीक और परीक्षा रद्द के कारण लाखों छात्रों का भविष्य तबाह हो चुका है।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभिभाषण में बुनियादी मुद्दों को नजर अंदाज किया गया है, विफलताओं को छुपाया गया है, जिसमें यह सरकार माहिर है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में सबको साथ लेकर चलने की बात का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि इस भाव से किसी को इनकार नहीं हो सकता लेकिन 10 साल का विपक्ष का तजुर्बा यह है कि यह बातें भाषणों तक ही सीमित रही है और इनका जमीन पर अमल नहीं हुई तथा उल्टा हुआ। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने अधिक उत्साह से भाग लिया लेकिन शहरों में पढ़े लिखे और पैसे वाले लोग इसमें पीछे रहे।
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अग्निवीर जैसी अनियोजित और तुगलकी योजना लाकर युवाओं का मनोबल तोड़ दिया गया है। मैं मांग करता हूं कि अग्निवीर योजना को खत्म किया जाना चाहिए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा नरेंद्र मोदी हमेशा महिलाओं और गरीबों की बात करते हैं। लेकिन मणिपुर एक साल से जल रहा है, वह आज तक वहां नहीं गए। मोदी जी, आप विदेशों में गए, चुनावी रैलियां की, लेकिन मणिपुर क्यों नहीं गए? वे कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। लेकिन आपने सिर्फ कुछ लोगों का साथ दिया और गरीबों का सत्यानाश कर दिया।”
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राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरएसएस पर भी निशाना साधा और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा कि आरएसएस एक मनुवादी संस्था है। इसकी विचारधारा देश के लिए खतरनाक है। भारत के संस्थानों पर आरएसएस का कब्जा हो रहा है।
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खड़गे ने आरोप लगाया कि अब भी सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग देश में मौजूद हैं और यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ फेंका जाए। उन्होंने कहा, इसके लिए हम सबको भी मेहनत करनी पड़ेगी। इस चुनाव की एक खूबी यह भी है कि जनादेश के डर से सत्ताधारी दल के लोग संविधान का जप कर रहे हैं। ऐसे लोग भी हैं जिनको संसद में जय संविधान के नारे पर भी आपत्ति है। ऐसे लोग भी सदन में हैं, ऐसी पार्टी भी सदन में है। इसीलिए संविधान की रक्षा का मसला अभी भी कायम है। खड़गे ने कहा कि भारत की जनता ने इनकी असली मंशा, सोच और इरादों को परख लिया है इसीलिए संविधान माथे पर लगाने से काम नहीं चलेगा बल्कि इसके मूल्य पर आपको चलकर दिखाना होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीते एक दशक में संसदीय संस्थाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को लगातार कमजोर किया गया और विपक्ष को नजर अंदाज किया गया है और यहां तक कि संसद में विपक्ष को अपनी बातें रखने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि इनकी सोच में ऐसी संसद थी जिसमें कोई विपक्ष ना हो। ऐसी सोच नहीं होती तो 17वीं लोकसभा में पहली बार उपाध्यक्ष का पद खाली नहीं रहता।’’ उन्होंने दावा किया कि संविधान के तहत ‘हम’ सब कुछ काम करते हैं लेकिन भाजपा इसके विपरीत करती है।
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खड़गे ने कहा कि कभी घमंड मत करना, तकदीर बदलती रहती है, शीशा वही रहता है, बस तस्वीर बदलती रहती है। खड़गे ने मोदी सरकार के लिए कहा कि इसलिए कभी घमंड नहीं करना चाहिए, ये हमें घमंडी बताते थे इनका घमंड टूट गया है।
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उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सोमवार को चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरोप लगाते हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों को उल्लेख किया और कहा कि चुनावों में देश का संविधान और जनता सब पर भारी रहे और संदेश दिया कि लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति का अभिभाषण की विषय-वस्तु सरकारी होती है। सरकारी पक्ष को इसे दृष्टि पत्र बनाना था और यह बताना था कि चुनौतियों से कैसे निपटेंगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले अभिभाषण का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि वह ‘चुनावी’ था और दूसरा उसी की प्रति जैसा है। उन्होंने कहा, इसमें ना कोई दिशा है, ना ही कोई दृष्टि है। हमें भरोसा था कि राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र की चुनौतियों पर कुछ बातें जरूर रखेंगी, सबसे कमजोर तबकों के लिए कुछ ठोस संदेश देगी लेकिन हमें घोर निराशा हुई कि इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा, पिछली बार की तरह यह केवल तारीफों के पुल बांधने वाला अभिभाषण है।
(PTI के इनपुट के साथ)
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