मणिपुर में पिछले 5 महीनों से भड़की हिंसा को शांत करने में राज्य की बीजेपी सरकार लगभग हर मोर्चे पर नाकाम रही है। अब राज्य सरकार ने नया आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक, राज्य में कहीं भी हिंसा का वीडियो या फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों पर कार्रवाई होगी। ऐसे किसी भी कंटेंट को शेयर करने पर पाबंदी लगाई गई है। राज्य सरकार ने अपने आदेश में कहा कि हिंसा की तस्वीरें और वीडियो सर्कुलेट करने वाले लोगों पर मामला दर्ज करेगी और मुकदमा चलाएगी। साथ ही मोबाइल इंटरनेट सेवा पर भी लगी पाबंदी को और 5 दिनों तक जारी रखने का फैसाल लिया गया है।
राज्य के गृह विभाग के माध्यम से जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार हिंसक गतिविधियों के फोटो और वीडियो को बहुत गंभीरता से और अत्यंत संवेदनशीलता के साथ लेती है। ऐसी चीज शेयर करने की वजह से दोबारा भीड़ इकट्ठा हो सकती है और सरकारी संपत्ति और जान माल का नुकसान हो सकता है। इससे राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
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आदेश में कहा गया है कि ऐसी तस्वीरें या वीडियो अगर किसी व्यक्ति के पास हैं तो वह निकटतम पुलिस अधीक्षक से संपर्क करे और उन्हें कानूनी कार्रवाई के लिए जमा करे, लेकिन अगर वे सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी तस्वीरें शेयर करते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
तीन दिन पहले ही कूकी-जोमी व्यक्ति को जलाए जाने का वीडियो सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर वायरल हुआ था। इसके बाद राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है। आईटी एक्ट और आईपीसी के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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राज्य सरकार ने राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को अगले 5 दिनों के लिए निलंबित करने का भी फैसला लिया है। इससे पहले 6 अक्टूबर को एक आदेश में हिंसा ग्रस्त मणिपुर में इंटरनेट पर लगी पाबंदी 11 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई थी। अब यह पाबंदी 16 अक्टूबर तक लागू रहेगी।
मणिपुर में 3 मई को बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों की सीमा से लगे इलाकों में ईसाई कूकी समुदाय की आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान हिंसा भड़की थी। करीब 5 महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका हैं, लेकिन राज्य में हालात संभलते दिखाई नहीं दे रहे हैं। हिंसा में अब तक रीब 175 लोगों की जान जा चुकी है। 50 हजार लोग विस्थापित हुए हैं।
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