चीन से विवाद के बीच भारत सरकार ने टिकटॉक और यूसी ब्राउजर समेत 59 चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा दिया है। सरकार ने अब देश के विभिन्न आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले छात्रों से इन चाइनीज एप्स से बेहतर विकल्प तैयार करने का आह्वान किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय चाहता है कि भारतीय छात्र, देशवासियों को स्वदेशी मोबाइल ऐप उपलब्ध करवाएं। इन एप्स की विश्वसनीयता विश्वस्तरीय हो और गुणवत्ता में यह अन्य विदेशी मोबाइल ऐप्स से बेहतर हों। मंत्रालय के मुताबिक छात्रों के समक्ष यह एक चुनौती और अवसर दोनों ही है।
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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आईआईटी छात्रों से कहा, "50 से भी अधिक एप्स को जो प्रतिबंधित किया गया है, यह आपके लिए एक स्वर्णिम अवसर है। आप आगे आएं और प्रधानमंत्री जी को भरोसा दिलाएं कि यह जो देश के बाहर से आए ऐप हैं, हमें इनकी जरूरत नहीं है। हम इस चीज को अपने देश में ही कर सकते हैं। एक नए युग का सूत्रपात हो सकता है। आईआईटी इसमें पहल कर सकती हैं।"
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रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "मैं आईआईटी के छात्रों से आह्वान करना चाहता हूं। इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। चुनौतियों का मुकाबला करने पर वह अवसर में तब्दील हो जाती हैं। यह अवसर हमारी उन्नति के लिए हमारे घर पर आए हैं। इन्हें छोड़ना नहीं चाहिए, इन अवसरों को संजोना चाहिए। इन्हें अपनी प्रगति के शिखर में तब्दील करना चाहिए।"
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मोदी सरकार ने प्रतिबंधित किए गए इन ऐप्स को सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक बताया है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि उपलब्ध सूचना के अनुसार, ये ऐप्स उन गतिविधियों में लगे हुए हैं, जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। केंद्र सरकार ने जिन चाइनीज मोबाइल एप्स को प्रतिबंधित किया है, उनमें टिकटॉक, शेयर इट, केवई, यूसी ब्राउजर, बैडू मैप, शीईन, क्लैश ऑफ किंग, डीयू बैटरी सेवर, हेलो, लाइकी आदि प्रमुख हैं।
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