हालात

खांसी-बुखार से हैं परेशान, नहीं जा रही है खांसी तो हो जाएं सावधान! इस दवा को लेने से बचें, IMA ने जारी किया अलर्ट

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के हालिया डेटा से भी पता चला है कि एच3एन2 - इन्फ्लूएंजा वायरस का एक उप-प्रकार है, जिसका पिछले दो-तीन महीनों से व्यापक प्रकोप है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी देते हुए शनिवार को कहा कि कई मरीजों में तेज बुखार और लगातार खांसी सहित अन्य लक्षणों के साथ फ्लू के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। एच3एन2 का संक्रमण इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण फैलता है, जो पांच से सात दिनों तक रहता है। एसोसिएशन ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि यह मौसमी बीमारी है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के हालिया डेटा से भी पता चला है कि एच3एन2 - इन्फ्लूएंजा वायरस का एक उप-प्रकार है, जिसका पिछले दो-तीन महीनों से व्यापक प्रकोप है। आईएमए ने ट्विटर पर लिखा, "कुछ मामलों में खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है।"

Published: 05 Mar 2023, 9:19 AM IST

आईएमए के मुताबिक, "बुखार तीन दिनों में खत्म हो जाता है, जबकि खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है। डॉक्टरों को ऐसे रोगियों को एंटीबायोटिक्स देने से बचने की सलाह दी गई है।"

आईएमए ने कहा कि मामले आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक और 15 वर्ष से कम उम्र के लोगों में एच3एन2 का संक्रमण देखा जा रहा है। कुछ लोग बुखार के साथ ऊपरी श्वसन संक्रमण की भी रिपोर्ट कर रहे हैं। 'वायु प्रदूषण' भी इसका एक कारण हो सकता है।

इसने चिकित्सकों को केवल रोगसूचक उपचार देने की सलाह दी, क्योंकि एंटीबायोटिक दवाओं की कोई जरूरत नहीं है। आईएमए ने बताया कि लोगों ने दवा की खुराक और बारंबारता की परवाह किए बिना ऐथरेसिन और एमोक्सिक्लेव आदि एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर दिया है और एक बार जब वे बेहतर महसूस करने लगते हैं तो बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इसे रोकने की जरूरत है, क्योंकि यह एंटीबायोटिक बाद में शरीर पर बेअसर हो जाता है।

Published: 05 Mar 2023, 9:19 AM IST

आईएमए ने कहा कि जब भी एंटीबायोटिक दवाओं का वास्तविक उपयोग होगा, वे रेजिस्टेंस के कारण काम नहीं करेंगे। चिकित्सा संघ ने भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने, अच्छे हाथ और श्वसन स्वच्छता प्रथाओं के साथ-साथ फ्लू के टीकाकरण की सलाह दी।

सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन, एम्स के प्रोफेसर हर्षल आर. साल्वे ने कहा कि जलवायु परिस्थितियों के कारण फ्लू वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है। साल्वे ने आईएएनएस को बताया, "सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में स्थापित तंत्र के माध्यम से सीरोलॉजिकल निगरानी वायरस के सीरोटाइप और इसके स्थानिक को निर्धारित करने के लिए जरूरी है।"

चाणक्यपुरी स्थित प्राइमस अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि अस्थमा के रोगियों और फेफड़ों के गंभीर संक्रमण वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। डॉक्टरों ने कहा कि बुजुर्गो, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा है। इसलिए, उन्हें बाहर निकलते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।

छाबड़ा ने कहा, "अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों वाले रोगियों को ऐसे मौसम परिवर्तन के दौरान ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है, क्योंकि यह गंभीर श्वसन संबंधी समस्याएं और अस्थमा के दौरे को बढ़ा सकता है।"

Published: 05 Mar 2023, 9:19 AM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 05 Mar 2023, 9:19 AM IST