कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि चुनावी बॉण्ड ‘प्रीपेड रिश्वत और ‘पोस्टपेड रिश्वत’ का मामला है और इसकी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि ‘चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान’ मौजूदा सरकार की नीति है। उन्होंने कहा कि केंद्र में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनने पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा।
रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले महीने से ही भारतीय स्टेट बैंक इसका भरपूर प्रयास कर रहा था कि किसी तरह ‘चुनावी बॉण्ड’ से संबंधित आंकड़े जारी करने का समय 30 जून, 2024 तक टल जाए यानी आगामी लोकसभा चुनाव के काफ़ी बाद तक। यह संभवतः मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा था।’’
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उन्होंने दावा किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय के बार-बार हस्तक्षेप और तल्ख़ टिप्पणी के बाद एसबीआई को अंततः 21 मार्च, 2024 को बॉण्ड के आंकड़े जारी करने पड़े। राजनीतिक दलों के साथ चंदा देनेवालों का मिलान करने में ‘पायथन कोड’ की मदद से 15 सेकंड से भी कम का समय लगा। इससे एसबीआई का यह दावा बेहद हास्यास्पद साबित हुआ है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा मांगा गया डेटा उपलब्ध कराने में उसे कई महीने लगेंगे।’’
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘बॉण्ड में घोटाला चार तरीके से किया गया। पहला तरीका ‘चंदा दो, धंधा लो’ का था। यानी यह ‘प्रीपेड रिश्वत’ थी। दूसरा तरीका ‘ठेका लो, रिश्वत दो’ का था। यह ‘पोस्टपेड रिश्वत’ थी। तीसरा तरीका ‘हफ़्ता वसूली’ का था, यानी छापेमारी के बाद रिश्वत। चौथा तरीका फ़र्ज़ी कंपनियों का था।’’
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उन्होंने दावा किया, ‘‘38 ऐसे कॉरपोरेट समूहों ने ‘चुनावी बॉण्ड’ के माध्यम से चंदा दिया है, जिन्हें केंद्र या भाजपा की राज्य सरकारों से 179 प्रमुख परियोजनाएं मिली हैं। भाजपा को ‘चुनावी बॉण्ड’ के माध्यम से 2,004 करोड़ रुपए का चंदा देने के बदले इन कंपनियों को कुल मिलाकर 3.8 लाख करोड़ रुपये के ठेके और परियोजनाएं मिली हैं।’’
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह ‘चंदा-धंधा घोटाला’ है।
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रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘जो सरकार किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) नहीं दे रही है, उसने घूस को कानूनी दर्जा दे दिया।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान। यही इस सरकार की नीति है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनने पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा तथा ‘पीएम केयर्स’ और ‘मोदानी’ (अडाणी समूह से जुड़े) मामले की भी जांच कराई जाएगी।
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