3 मार्च को बीजेपी ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में अपनी जीत और नागालैंड तक अपने विस्तार का जश्न मनाया।
उसी दिन उत्तर प्रदेश से, जहां लोकसभा की सबसे अधिक सीटें हैं, एक ऐसी खबर आई जिसने इतने वर्षों से किए गए बीजेपी के जमीनी स्तर के कार्यों और दूसरी योजनाओं पर पानी फेर दिया।समाजवादी पार्टी ने घोषणा की कि बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में उनके उम्मीदवारों का समर्थन करेगी।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने अगले ही दिन इस खबर की पुष्टि की। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इन दो सीटों पर अपने उम्मीदवार होने के बावजूद इस सोच का स्वागत किया। अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोक दल ने भी समर्थन की तत्काल घोषणा की।
सपा ने इससे पहले ही निषाद और पीस पार्टी को अपने साथ शामिल होने के लिए मना लिया था। इस महागठबंधन ने इन दोनों सीटों से संबंधित संभावनाओं को बदल दिया और अगर यह महागठबंधन 2019 के आम चुनावों तक बना रहा, तो मुमकिन है कि यह उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत के चुनावी नक्शे को बदल दे।
हमने यह अनुमान लगाया है कि आने वाले आम चुनावों में अगर बीएसपी, सपा और कांग्रेस का महागठबंधन बनता है तो उत्तर प्रदेश लोकसभा का चुनावी नक्शा कैसा होगा। हमने 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एनडीए दलों (बीजेपी, अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के संयुक्त वोटों और बीएसपी, सपा और कांग्रेस के संयुक्त वोटों (विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन था ) को उत्तर प्रदेश लोकसभा के चुनावी नक्शे पर दर्शाया है और इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं।
Published: undefined
इस आकलन के हिसाब से सपा, कांग्रेस और बीएसपी संयुक्त रूप से 52 सीटें जीत सकती है और बीजेपी महज 28 सीटों जीत पाएगी, जो 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 43 सीटें कम है। 2019 में विपक्षी गठबंधन की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि मायावती इससे जुड़ती हैं या नहीं। उत्तर प्रदेश के हमारे पुनर्निर्मित चुनावी नक्शे (नीचे दिए गए उत्तर प्रदेश 2014 और 2017 के ग्राफिक्स को देखें) से यह बात स्पष्ट होती है।
Published: undefined
हमने एक और बड़े राज्य महाराष्ट्र पर भी गौर किया, जहां 2014 के बाद से काफी राजनीतिक बदलाव हुआ है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की बात करें तो दोनों पार्टियों के बीच आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने पर अग्रिम चर्चा चल रही है।
शिवसेना पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ थी और उसने उसी साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने से ठीक पहले अपने पांव एनडीए गठबंधन से खींच लिए थे। इस बीच शिवसेना ने घोषणा की है कि भविष्य में वह बीजेपी के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी। सांसदों की संख्या के हिसाब से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा बड़ा राज्य है, जहां 48 सीटें हैं।
2014 में महाराष्ट्र से 23 बीजेपी सांसद और 18 शिवसेना के सांसद जीते थे। एनसीपी और कांग्रेस की 4 और 2 ही सीटें थीं। उस समय एक सांसद एनडीए सहयोगी स्वाभिमानी पक्ष से था, जिन्होंने बाद में एनडीए छोड़ दिया था।
उत्तर प्रदेश के साथ हमने कांग्रेस और एनसीपी के संयुक्त वोटों और सेना और बीजेपी की सीटों को अलग रखते हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के नतीजों को लोकसभा के चुनावी नक्शे में दर्शाया है (नीचे दिए गए ग्राफिक्स में महाराष्ट्र मई 2014 और अक्टूबर 2014 को देखें)। हमने पालघर और भंडारा-गोंदिया सीटों को छोड़ दिया है, जो वर्तमान में खाली हैं।
Published: undefined
हमने पाया कि बीजेपी को महज 18 सीटें और शिवसेना को 5 सीटें मिली। कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को लोकसभा में 23 सीटें मिली। हालांकि, यह आंकड़ें भी बीजेपी बहलाने के लिए हैं। बीजेपी अगले आम चुनावों में शायद ही इन 18 सीटों को भी बरकरार रख पाए। ग्रामीण महाराष्ट्र में पिछले 3 वर्षों में स्थानीय निकाय के चुनाव परिणाम कांग्रेस के वोटों में बढ़ोतरी दिखा रहे हैं, विशेष रूप से, इसने बीजेपी को बड़े शहरों तक ही सीमित कर दिया गया है।
यदि हम कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन से संबंधित अफवाहों पर गौर करें, जो महाराष्ट्र में बीजेपी को हराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, तो बीजेपी ज्यादा खतरे में है।
आखिर में हम गुजरात पर नजर डालें, तो वहां से लोकसभा में 26 सांसद हैं। 2014 में बीजेपी ने राज्य में सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज की। हमने हाल ही में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों को लोकसभा के चुनावी नक्शे पर दर्शाया है। इस चुनाव में कांग्रेस की सीटों में वृद्धि हुई है जिसके आधार पर बीजेपी की 8 सीटें कम हो जाएंगी। इसके अलावा, हमने महाराष्ट्र में एक-दूसरे के साथ आने के अनुमान के तहत एनसीपी के साथ कांग्रेस के वोटों को मिलाया।
इस आकलन के अनुसार बीजेपी पोरबंदर की एक और लोकसभा सीट खो देगी, जहां एनसीपी और कांग्रेस ने साथ मिलकर ज्यादा वोट प्राप्त किए थे(नीचे दिए गए ग्राफिक्स में गुजरात 2014 और 2017 को देखें)।
Published: undefined
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अलग-अलग राज्यों में बनने वाला विपक्षी गठबंधन बीजेपी की मौजूदा लोकसभा सीटों की संख्या को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। सिर्फ ऊपर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी की उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में ही 56 सीटें कम हो सकती हैं। लोकसभा उपचुनावों के परिणामों के बाद वर्तमान में बीजेपी की 273 सीटें हैं, जिसमें स्पीकर (8 खाली सीटों के साथ) शामिल हैं।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कुछ अन्य राज्यों में बीजेपी की होने वाली संभावित हार को नजरअंदाज भी कर दें, तो 56 सीटें कम होने के बाद बीजेपी की 217 सीटें ही रह जाएंगी।
अगर समय रहते विपक्षी दल गठबंधन कर लेते हैं, तो वे इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिस तरह 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने बीजेपी को हार का स्वाद चखाया था।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined