हमें भूलना नहीं चाहिए कि मौजूदा सरकार के पक्ष में सिर्फ एक तिहाई (38 प्रतिशत के आसपास) लोग हैं या इतने ही मतदाताओं ने उसे वोट किया है, यानी बड़ी संख्या उनकी है जो उसके साथ नहीं हैं। हमें न सिर्फ यह बात खुद याद रखनी चाहिए, बल्कि इस तथ्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताने, अपनी बातचीत में शामिल करने की जरूरत है। मीडिया के भुलावे में फंसना बहुत आसान है।
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हमें अपनी संवेदनशीलता फिर से तलाशने, अपने आपको संविधान के मूल्यों की याद दिलाने, खुद को और जहां तक संभव हो सबको सक्रिय करने की जरूरत है। उम्मीदों पर दुनिया टिकी है। लेकिन यह सिर्फ लगातार फोकस और सक्रियता से ही संभव है। इन विचारों और मुद्दों को अमली जामा पहनाने में कलाकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, कार्टूनिस्टों और स्टैंड-अप कॉमेडियन की बड़ी भूमिका है, और सुरक्षा के साथ यह सब करने के तरीके निकाले जाने चहिए।
(मल्लिका साराभाई शास्त्रीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर, अभिनेत्री, लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता। कला को सामाजिक परिवर्तन के माध्यम के रूप में बढ़ावा देने के लिए ख्यात हैं।)
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