इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, जिसकी स्थापना स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी, देश में कला क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन 35 वर्षों से कला की सेवा करने वाला यह केंद्र अब सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की भेंट चढ़कर सदा के लिए नष्ट होने वाला है।
इस कला केंद्र जो, आईजीएनसीए के नाम से प्रसिद्ध है, का डिजाइन मशहूर अमेरिकी आर्किटेक्ट राल्फ लार्नर ने किया था। इस ऐतहासिक इमारत में ऐतिहासिक महत्व की हजारों वस्तुएं, हस्तलिपियों को साथ ही एक भरापूरा पुस्तकालय भी है। जिसे अब अस्थाई तौर पर नजदीक के जनपथ होटल में शिफ्ट कर दिया गया है।
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पहले यह दावा किया गया था कि नए मास्टर प्लान के तहत आईजीएनसीए का सिर्फ एक हिस्सा ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में पुनर्विकसित किया जाएगा और केंद्र के मुख्य ढांचे को नहीं छुआ जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केंद्र के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय भी आईजीएनसीए में किसी भी तोड़फोड़ के पक्ष में नहीं थे। राम बहादुर राय अपनी दक्षिणपंथी विचारधारा के लिए भी जाने जाते हैं।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक आईजीएनसीए ही नहीं, दो अन्य ऐतिहासिक महत्व की इमारते भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत ढहाई जाएंगी। इनमें नेशनल म्यूजियम और नेशनल आर्काइव की एनेक्सी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा शास्त्री भवन, कृषि भवन, विज्ञान भवन, उपराष्ट्रपति का निवास, जवाहर भवन, निर्माण भवन, उद्योग भवन, और रक्षा भवन भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत तोड़े जाएंगे जिसके बाद पूरे सेंट्रल विस्टा के लिए 4,58,820 वर्ग मीटर जगह उपलब्ध होगी।
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ध्यान रहे कि कुछ दिनों पहले प्रतिष्ठित इतिहासविदों, शिक्षाविदों ने मोदी सरकार को पत्र लिखकर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग की है। पत्र लिखने वालों में नोबल पुरस्कार से सम्मानित ओरहान पमुक शामिल, इतिहासकार रोमिला थापर और ब्रिटिश मूर्तिकार अनीष कपूर आदि शामिल हैं।
पत्र में इनलोगों ने कहा है, हम सरकार का ध्यान सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडिया, आईजीएनसीए और नेशनल आर्काइव लाइब्रेरी समेत कई अन्य इमारतों को ध्वस्त किए जाने की तरफ आकर्षित करना चाहते हैं। इन इमारतों को नया संसद भवन बनाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए सेंट्रल विस्टा का खुला इलाका, पार्क, छायादार पैदल पथ और सदियों पुराने पेड़, झीलों आदि को नष्ट किया जा रहा है।”
विश्लेषकों का मानना है कि नेशनल म्यूजियम में हजारों कला कृतियां, दुर्लभ मूर्तियां, मूल हस्तलिपियां और बहुमूल्य सिक्कों के साथ ही पेंटिंग्स और अन्य कला वस्तुओं का खजाना है, जो भारत के समृद्ध राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास को दिखाता है, लेकिन इस सबका नष्ट हो जाना डराने वाला है। नेशनल म्यूजियम को औपचारिक तौर पर 1949 में शुरु किया गया था, इसमें हड़प्पा संस्कृति की प्रसिद्ध नृतक लड़की की पेंटिंग, चोला कांसे में बनी नटराज की मूर्ति, बुद्ध की लिपियां और तंजोर पेंटिग्स आदि रखी हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक म्यूजियम के इस हिस्से को नॉर्थ या साउथ ब्लॉक में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि नेशनल आर्काइव की मुख्य इमारत को ऐसे ही रखा जाएगा लेकिन एनेक्सी को ढहा दिया जाएगा। एनेक्सी में मौजूद दस्तावेजों में 45 लाख से ज्यादा फाइलें, 25 हजार से ज्यादा पांडुलिपियां, एक लाख से ज्यादा नक्शे और 1.3 लाख से ज्यादा मुगल शासन के दस्तावेज मौजूद हैं।
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