आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर और उनके परिवार पर लगे कथित अनियमितता के आरोपों की जहां भारत में कई एजेंसियां जांच कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर यह मामला अमेरिकी शेयर बाजार नियामक एसईसी के रेडार पर भी आ चुका है। चंदा कोचर और आईसीआईसीआई बैंक को जल्द ही एसईसी जांच का सामना करना पड़ सकता है। सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) इस मामले में भारतीय बाजार नियामक सेबी से भी संपर्क कर सकता है। हालांकि, इस बारे में एसईसी के एक प्रवक्ता से पूछा गया तो उसने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
खबरों के मुताबिक, एसईसी इस मामले को बहुत नजदीक से देख रहा है क्योंकि आईसीआईसीआई बैंक अमेरिका में भी सूचीबद्ध है। वह भारत में अपने समकक्ष सेबी से भी इस संबंध में जानकारी मांग सकता है। सेबी इस मामले में पहले ही बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी कर चुकी है। चंदा कोचर और आईसीआईसीआई बैंक के खिलाफ जांच कर रही भारतीय नियामक और जांच एजेंसियां ने मॉरीशस समेत दूसरे विदेशी समकक्षों से जांच में मदद मांगी हैं। बैंक पहले ही कथित हितों के टकराव और फायदा के बदले फायदा पहुंचाने के मामले की स्वतंत्र जांच करा रहा है।
इस मामले में सीबीआई ने मार्च में ही चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के खिलाफ प्रारंभिक जांच दर्ज कर लिया था और अप्रैल में कोचर के देवर राजीव कोचर से गहन पूछताछ भी की थी।
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चंदा कोचर पर कुछ कर्जदारों के साथ हितों के टकराव और एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे हैं। आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर को वीडियोकॉन समूह को दिए गए एक कर्ज को लेकर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इस मामले में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के शामिल होने की बात सामने आने के बाद से मामले ने तूल पकड़ा। आरोप है कि वीडियोकॉन समूह ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स में पैसा लगाया था। न्यूपावर को मॉरीशस की कंपनी फर्स्ट लैंड होल्डिंग्स से भी निवेश मिला था।
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