पूर्व आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन को नौकरी से इस्तीफा देने के दो महीने बाद अनुशासनहीनता के लिए चार्जशीट दी गई है। गोपीनाथ ने जम्मू-कश्मीर में लोगों के बोलने की आज़ादी पर पाबंदी लगाए जाने के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था। चार्जशीट मिलने पर गोपीनाथ ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय पर निशाना साधा है।
कन्नन गोपीनाथन ने जब इस्तीफा दिया तो उस समय वे दादरा एंव नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात थे। चार्शीट में कन्नन गोपीनाथन पर अनुशासनहीनता के आरोप लगाए गए हैं। मंगलवार को गोपीनाथन ने ट्वीट कर बताया कि दमन के एक अधिकारी ने फोन कर उनसे उनका पता मांगा और कहा कि उन्हें चार्जशीट भेजी जा रही है। जब गोपीनाथनन ने कहा कि उनका अपना कोई मकान नहीं है और वे किराए पर रहते हैं, तो उन्हें चारजशीट ईमेल के जरिए भेज दी गई।
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गोपीनाथन ने एक और ट्वीट में उस मेमो को भी शेयर किया है जो उन्हें केंद्र सरकार ने भेजा है। उन्होंने कहा कि मेमो में उनसे कहा गया है कि वे किसी राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्होंने सवाल उठाया कि, “गृह मंत्रालय पर राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करने में अमित शाह के अलावा कौन सक्षम है। और अगर मैं उन्हें प्रभावित कर सकता तो बात ही कुछ और थी। लेकिन फिर भी मैं कोशिश करता हूं।” उन्होंने इसी ट्वीट में अमित शाह से आग्रह किया है, “सर, प्लीज कश्मीर में बुनियादी अधिकारों को बहाल कर दीजिए।”
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गोपीनाथन ने इस ट्वीट के बाद कहा कि इससे अब साफ लगने लगा है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों कहते हैं कि अफसरशाहों ने उनके कार्यकाल के पहले पांच साल बरबाद कर दिए। गोपीनाथ ने आगे कहा कि, “पांच साल के नेतृत्व के बाद आपसे उम्मीद यही निकली कि आप लोगों को डराने-धमकाने और उनका उत्पीड़न करने में माहिर हो गए हैं।”
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