बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि बवाल मचने के बाद मंगलवार को मांझी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि वह ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं, ब्राह्मणों के नहीं।
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जीतनराम मांझी ने मंगलवार को ट्वीट किया, "ब्राह्मणों के खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्द जुबान फिसलने की वजह से हो सकते हैं और मैं इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहता हूं। मैं ब्राह्मणों के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मुझे ब्राह्मणवाद से आपत्ति है।" मांझी ने कहा कि ब्राह्मणवाद की प्रथा हमेशा दलितों से नफरत करती है, उन्हें अछूत घोषित करती है। मैं ब्राह्मणवाद द्वारा बनाई गई इन अपमानजनक प्रथाओं के खिलाफ हूं।
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इससे पहले बीजेपी की बिहार इकाई के कार्यकारी सदस्य गजेंद्र झा ने कहा था, "जो भी ब्राह्मण का बेटा समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए मांझी की जीभ काटेगा, मैं उसे 11 लाख रुपये का नकद इनाम दूंगा और पूरे जीवन का खर्च वहन करूंगा।" झा ने कहा कि मांझी की न तो गरिमा है और न ही वह हिंदू धर्म में विश्वास करते हैं। हिंदू धर्म को बचाने के लिए मैं मरने को तैयार हूं।
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गजेंद्र झा ने कहा, "हम शुरू से मानते हैं कि जीतन राम मांझी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति हैं। वह होश खो बैठे हैं। लेकिन वह बार-बार ब्राह्मणों के खिलाफ अपमानजनक बयान दे रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।" इस बीच, बीजेपी के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने कहा कि उन्हें (मांझी को) भारतीय परंपराओं और हिंदू धर्म पर एक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाना चाहिए।
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