कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी की ‘‘हम अडानी के हैं कौन'' श्रृंखला के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन सवाल पूछते हुए कहा कि इन सवालों का मकसद इस ओर ध्यान केंद्रित करना है कि कैसे अडानी समूह को ‘‘एकाधिकार'' दिया गया, जिससे उन उपभोक्ताओं के शोषण की ‘‘छूट'' मिली, जिन्हें हवाई अड्डों और बिजली जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का उपयोग करने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए थे।
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि उद्योगपति अडानी के डूबते हुए शेयरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस महासचिव ने शनिवार को कहा कि लखनऊ में अडानी द्वारा संचालित भारत के 11वें सबसे व्यस्त हवाईअड्डे, चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने यात्रियों द्वारा भुगतान किए जाने वाले उपभोक्ता विकास शुल्क (यूडीएफ) में भारी वृद्धि का प्रस्ताव दिया है।
यदि हवाईअड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) द्वारा इस प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया जाता है, तो वित्तीय वर्ष 2025-26 तक घरेलू यात्रियों के लिए उपभोगकर्ता शुल्क 192 रुपये से बढ़कर 1,025 रुपये और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए 561 रुपये से बढ़कर 2,756 रुपये हो जाएगा। अडानी द्वारा संचालित अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले घरेलू यात्रियों के लिए 2025-26 तक इस शुल्क में 6 गुना वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए 12 गुना वृद्धि को पहले ही एईआरए द्वारा मंजूरी दे दी गई है।
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उन्होंने दावा कहा कि एईआरए ने अडानी द्वारा संचालित मंगलुरु हवाई अड्डे के मामले में न केवल प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए उपभोक्ता शुल्क में वृद्धि की है, बल्कि आने वाले यात्रियों पर भी शुल्क लगाया है। क्या नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की आपत्तियों के बावजूद उद्योगपति गौतम अडानी को छह में से छह हवाईअड्डे सौंपकर उसे हवाईअड्डों का एकाधिकार देने निर्णय का यह अपरिहार्य परिणाम हवाई यात्रा करने वाले लोगों को नहीं भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या चुनावी बांड के रूप में बीजेपी के खजाने में डाले जा रहे पैसे का भुगतान भी सामान्य हवाई यात्रियों को अपनी जेब से करना होगा?
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कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि साल 2008 में, अडानी पावर ने हरियाणा की सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के साथ 2.94 रुपये प्रति यूनिट की अपरिवर्तनीय दर पर 25 साल के लिए 1,424 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने के बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद इंडोनेशियाई कोयले की कीमतें बढ़ने के बाद, अडानी ने अपरिवर्तनीय टैरिफ को बढ़ाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी, जो तब समाप्त हो गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल 2017 को अपने निर्णय में कहा कि इंडोनेशियाई कोयले के नियमों में बदलाव को पीपीए संशोधन को उत्प्रेरित करने वाले कानून में बदलाव के रूप में नहीं देखा जा सकता है। इतना ही नहीं साल 2020 में हरियाणा को 11.55 रुपये प्रति यूनिट पर तत्काल बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा। मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा अपनी आधिकारिक आपूर्ति प्राप्त करने की बजाय, 27 जून 2022 को एक पूरक पीपीए को मंजूरी देने का फैसला किया गया, जिसके द्वारा अडानी से 3.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से 1,200 मेगावाट की कम बिजली खरीद का निर्णय हुआ और शेष 224 मेगावाट बिजली अत्यधिक बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी से खरीदने का निर्णय हुआ।
"उन्होंने क्या इसके लिए सीएम खट्टर पर दबाव डाला गया, अडानी द्वारा बीजेपी के चुनावी बांड के भुगतान के लिए हरियाणा के उपभोक्ताओं से कितने हजारों करोड़ रुपये की लूट की जाएगी?"
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एक अन्य आरोप में जयराम रमेश ने कहा कि 1 मार्च को, अडानी पावर ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के समक्ष ये खुलासा किया कि उसने हरियाणा की दो बिजली वितरण कंपनियों के साथ पूरक पीपीए पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, उस समय तक ऐसे किसी पीपीए पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। क्या यह अडानी के डूबते हुए शेयरों को बचाने का प्रयास नहीं था क्या यह एक और ऐसा मामला होगा, जिसमें सेबी पीएम के पसंदीदा व्यवसाय समूह द्वारा घोर उल्लंघनों और धोखाधड़ी से आंखें मूंद लेगा?
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