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हम अडानी के हैं कौनः आपके मित्र की हेराफेरी का असर करदाताओं पर, कब तक देश के लोगों को लूटने की छूट मिलती रहेगी?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासों के बाद से कांग्रेस ‘हम आडानी के हैं कौन’ सीरीज के तहत रोज पीएम मोदी से अडानी और उनकी कंपनियों को लेकर सवाल पूछ रही है। हालांकि अब तक अडानी पर पूछे गए एक भी सवाल का जवाब पीएम मोदी या सरकार ने नहीं दिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कांग्रेस ने 'हम अडानी के हैं कौन' सीरीज के तहत आज फिर पीएम मोदी से गौतम अडानी पर तीन सवाल पूछे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवालों का सेट जारी करते हुए कहा कि प्रिय प्रधानमंत्री जी, जैसा कि आपसे वादा था, हम अडानी के हैं कौन (एचएएचके) श्रृंखला में आपके लिए तीन प्रश्नों का अट्ठाईसवां सेट प्रस्‍तुत है। "दिख रहा है विनोद" शीर्षक से प्रश्‍नों की उप-श्रृंखला में यह पांचवां सेट है, जो गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी की अडानी समूह के वैश्विक लेनदेन में भूमिका से संबंधित हैं, जिसके बारे में इस व्‍यापरिक समूह द्वारा निरंतर इंकार किया जाता रहा है।

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सवाल नंबर- 1

13 मार्च 2023 को लोकसभा में एक प्रश्‍न के उत्तर में, वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इंडोनेशिया से आयातित कोयले के लिए अडानी समूह द्वारा कथित रूप से वास्‍तविक कीमत से अधिक का चालान प्रस्‍तुत करने के संबंध में, भारत की प्रमुख तस्करी रोधी एजेंसी, खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआई), द्वारा की जा रही जांच किसी "अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंच पाई है क्योंकि निर्यातक देशों को अनुरोध पत्र भेजकर मांगी गई जानकारी मुकदमेबाजी में फंसी हुई है"। वर्ष 2016 में, डीआरआई ने आरोप लगाया था कि अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पावर, अडानी विल्मर, अडानी पावर महाराष्ट्र और अडानी पावर राजस्थान सहित 40 भारतीय कंपनियां बेईमानी से विदेश में पैसा भेजने और आयातित कोयले की कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई लागत के आधार पर उच्च बिजली टैरिफ मुआवजा का "लाभ उठाने" के लक्ष्य से इंडोनेशिया से आयातित कोयले के लिए वास्‍तविक कीमत से अधिक का चालान प्रस्‍तुत कर रही थीं।

ये सबकुछ सर्वविदित रूप से सिंगापुर, हांगकांग, दुबई और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में बिचौलियों के माध्यम से किया जा रहा था। इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए 8 जनवरी 2020 के सर्वोच्‍च न्‍यायालय के अनुकूल आदेशों के बावजूद, डीआरआई ने 13 जून 2021 को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि अडानी एंटरप्राइजेज सिंगापुर, दुबई, हांगकांग, स्विट्जरलैंड और इंडोनेशिया की अदालतों में सुस्‍थापित प्रक्रिया को अपनाते हुए "भेजे गए अनुरोध पत्रों को चुनौती देकर जांच को "बाधित" करने का प्रयास कर रहा है। उपभोक्ताओं और करदाताओं पर बढ़ी हुई बिजली की कीमतों के भारी बोझ को देखते हुए, क्या आप अपने वित्तपोषकों की बजाय भारत के नागरिकों के हितों में कार्य करने की कोई योजना बना रहे हैं? आपकी पार्टी के खजाने को भरने के लिए आपके सहयोगियों को कब तक भारत के लोगों को लूटने की छूट मिलती रहेगी?

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सवाल नंबर- 2

इसी प्रश्‍न के उत्तर में, वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि डीआरआई ने अडानी समूह द्वारा बिजली उपकरणों के आयात मे मामले की जांच पूरी कर ली है और "संबंधित न्यायिक अधिकारियों के समक्ष" इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। आपको याद दिलाने के लिए यहां यह बताना सुसंगत होगा कि डीआरआई ने 2014 में पता लगाया था कि अडानी समूह की तीन कंपनियों- महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन, अडानी पावर महाराष्ट्र और अडानी पावर राजस्थान ने चीन और साउथ कोरिया से आयाती‍त 3,580 करोड़ रुपए मूल्‍य के बिजली के उपकरणों के लिए दुबई स्थित इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा एफजेडई को 9,048 करोड़ रुपये का भुगतान किया था और बाकी राशि बेईमानी पूर्वक देश से बाहर भेज दी थी। इलेक्ट्रोजेन कंपनी को मॉरीशस स्थित इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा होल्डिंग के माध्‍यम से विनोद अडानी नियंत्रित किया करते थे। इस रिपोर्ट को तैयार होने में आठ साल से अधिक का समय क्यों लगा है और क्या आप डीआरआई को संभावित रूप से दोषसिद्ध करने वाली सामग्री को सार्वजनिक करने की अनुमति देंगे? या यह मामला भी एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा कि आपने अपने मित्रों को बढ़ी हुई पूंजीगत लागत दिखाकर 5,468 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने की छूट दी, जिसका खामियाजा अंततः उपभोक्ताओं और करदाताओं द्वारा भुगता जाएगा?

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सवाल नंबर- 3

एक तीसरा मामला जिसकी डीआरआई द्वारा जांच किसी निष्‍कर्ष तक नहीं पहुंच पाई, वह वर्ष 2004-06 का हीरा घोटाला है, जिसमें गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी और उनके बहनोई समीर वोरा पर हीरों के ‘सर्कुलर ट्रेड’ और धोखाधड़ी से निर्यात सब्सिडी प्राप्‍त करने का आरोप लगा था। वर्ष 2013 में, सीमा शुल्क आयुक्त ने राजेश अडानी, समीर वोरा, अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी समूह से जुड़ी पांच हीरा व्यापारिक कंपनियों पर जुर्माना लगाया, हालांकि 2015 में, आपके प्रधानमंत्री बनने के बाद, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण ने आयुक्त के इन आदेशों को रद्द कर दिया और वर्षों से चली आ रही जांच के निष्कर्षों को खारिज कर दिया। डीआरआई ने ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील क्यों नहीं की? क्या आपने वित्त मंत्रालय को अपने करीबी दोस्तों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों पर नरमी बरतने के लिए मजबूर किया?

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गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अडानी समूह पर हुए गंभीर खुलासों के बाद से कांग्रेस ‘हम आडानी के हैं कौन’ सीरीज के तहत पिछले कई दिनों से रोजाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गौतम अडानी और उनकी कंपनियों को लेकर सवाल पूछ रही है। अब तक कांग्रेस सीरीज के तहत 20 दिन सवाल पूछ चुकी है। हालांकि अब तक कांग्रेस के अडानी पर पूछे गए एक भी सवाल का जवाब पीएम मोदी या सरकार ने नहीं दिया है।

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