नौकरी महाघोटाले के खिलाफ आज हरियाणा लोकसेवा आयोग की चौखट पर जमकर हंगामा हुआ। खट्टर सरकार, बेशर्म सरकार, बेरोजगारों का पैसा खा गई सरकार, कबूलनामे में आए दो मंत्रियों के नाम बताओ जैसे नारे नौकरी देने वाले प्रदेश सरकार के सबसे बड़े निकाय के दरवाजे पर गूंजते रहे। हरियाणा लोकसेवा आयोग के बाहर घंटों नारेबाजी और हंगामे के बावजूद अंदर से कोई अधिकारी बाहर निकल कर नहीं आया। अंत में वहां आए सैकड़ों लोगों ने गाय के गोबर का धुआं करने के साथ ही वहां गौमूत्र छिड़ककर लोकसेवा आयोग को पवित्र किया।
प्रदेश की फिजा में यह सवाल शिद्दत से तैर रहा है कि मध्य प्रदेश के व्यापमं से भी बड़ा माना जा रहा हरियाणा का नौकरी घोटाला क्या सीएम आवास से संचालित हो रहा था। बात इतनी गहरी है कि अधिकारियों की भर्ती करने वाले हरियाणा लोकसेवा आयोग और कर्मचारियों की नियुक्ती प्रक्रिया को अंजाम देने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से बीजेपी सरकार बनने के बाद यानि वर्ष 2014 के बाद दी गई सभी नौकरियां शक के घेरे में हैं।
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हालत यह है कि नौकरी घोटाले के नाम पर खट्टर सरकार में सन्नाटा पसरा है। यही हाल शुक्रवार को पंचकूला स्थित हरियाणा लोकसेवा आयोग के दफ्तर के बाहर का था। घंटों बड़ी तादाद में वहां एकत्रित हुए लोग नारेबाजी करते रहे और चेयरमैन से मिलने की कोशिश करते रहे, लेकिन कोई बाहर निकलकर नहीं आया। आयोग की आलीशान इमारत में पसरी उदासी सारी कहानी कह रही थी। हरियाणा में कोई गरीब का पैसा खा जाए तो लोग एक कहावत कहते हैं कि 'इससे अच्छा तो गोबर खा ले'। इसी कहावत के तहत लोग आयोग मुख्यालय पर गोबर और गौमूत्र लेकर आए थे।
राज्य में आज हर आदमी यह सवाल कर रहा है कि क्या खट्टर सरकार में हर नौकरी फिक्स है। एचपीएससी के दफ्तर से एक करोड़ से अधिक नकदी की बरामदगी, कब्जे में ली गई प्रतियोगी परीक्षाओं की खाली भरी गई ओएमआर शीट और कई गिरफ्तारियों के बाद सवाल और बढ़ते जा रहे हैं। अब लोकसेवा आयोग के कार्यालय से नकदी की बरामदगी को खुद मुख्यमंत्री की ओर से नकार दिए जाने और आरोपियों के न्यायिक हिरासत में चले जाने के बाद शक की सुई सरकार की तरफ और गहरी होती जा रही है। जिसके लिए सरकार पर अदालत में कमजोर पैरवी के आरोप लग रहे हैं। इस गोरखधंधे की व्यापकता के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले से भी बड़ा खेल कहीं हरियाणा में तो नहीं चल रहा है?
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हरियाणा लोकसेवा आयोग के उप सचिव अनिल नागर की 18 नवंबर को गिरफ्तारी के बाद हर रोज हो रहे खुलासों से बीजेपी-जेजेपी सरकार में हड़कंप मचा हुआ है। इन खुलासों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रदेश में बिना पर्ची-खर्ची नौकरियां देने के दावों की बखिया उधेड़ कर रख दी है। सरकार इतनी बुरी तरह से घिर गई है कि 2014 के बाद सीएम खट्टर के कार्यकाल में दी गई हर नौकरी सवालों के घेरे में है। सवाल यह है कि इस सरकार में क्या हर नौकरी बेची गई है। इस खेल में सरकार में उच्च पदस्थ लोगों के शामिल होने की चर्चा है। चर्चा यह भी है कि गिरफ्तार डिप्टी सेक्रेंटरी ने एक-दो मंत्रियों का नाम कबूला है। डेंटल सर्जन की भर्ती में गड़बड़ी को लेकर पूछताछ से शुरू हुआ खुलासों का सिलसिला कहां जाकर रुकेगा किसी को अंदाजा नहीं है।
इसका तत्काल असर यह हुआ है कि हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) ने अब भर्तियों पर रोक लगा दी है। एचपीएससी ने एचसीएस मेन एग्जाम के साथ ही अन्य 11 भर्तियों को लेकर जारी किया गया शेड्यूल रद्द कर दिया है। चार भर्तियों के पेपर स्थगित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में खाली ओएमआर (आंसर शीट) शीट मिलने का मुद्दा विपक्ष लंबे समय से उठा रहा है, लेकिन सरकार इसका हर बार मखौल उड़ाती रही।
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हालात ऐसे हैं कि एचएसएससी की जुलाई के बाद आयोजित भर्ती परीक्षाओं में 580 ओएमआर शीट खाली मिलने की बात सामने आई है। लेकिन वास्तविक तादाद अभी सामने आनी शेष है। इसमें महिला कांस्टेबल परीक्षा समेत, एसआई पुरुष और स्टाफ नर्स, एमपीएचडब्ल्यू, रेडियोग्राफर और वीएलडीए भर्ती की एमआर शीट शामिल है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की ओर से की गई आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर्स की भर्ती में भी गंभीर गड़बड़ी की शिकायतें हैं। कुछ युवाओं ने तो विजिलेंस ब्यूरो को इसके दस्तावेज भी भेजे हैं। शिकायत है कि 60-70 अभ्यर्थियों की जगह दूसरे युवाओं ने परीक्षा दी, जिसमें से 34-35 का तो चयन भी हो गया।
एचपीएससी के गिरफ्तार डिप्टी सेक्रेटरी के समय असिस्टेंट प्रोफसर संस्कृत, फिजिकल एजुकेशन और जूलॉजी समेत डेंटल सर्जन, डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी, इलेक्शन तहसीलदार, ऑडिट ऑफिसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के घोषित हुए रिजल्ट भी सवालों के घेरे में हैं। कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में आंसर शीट खाली छोड़ने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों के नाम भी सार्वजनिक किए गए हैं। इनमें दूसरे प्रदेशों पंजाब, यूपी, राजस्थान, दिल्ली के अभ्यर्थी भी शामिल हैं। जाहिर है इस गोरखधंधे का दायरा काफी बड़ा है।
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डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर ने इस बात को कबूला है कि बड़े अफसर अपने लोगों को एडजस्ट करने का उन पर दबाव बनाते थे। सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस को अनिल नागर के केबिन से एचसीएस और डेंटल सर्जन भर्ती से जुड़ी ओएमआर शीट मिली हैं। यहीं नहीं भिवानी शिक्षा बोर्ड भी शक के दायरे में है, क्योंकि वहां सचिव रहते हुए भी नागर की कारगुजारी पर शक है। सवाल यह भी उठ रहा है कि एचपीएससी में डिप्टी सेक्रेटरी के किसी पद का प्रावधान न होते हुए भी अनिल नागर को वहां क्यों इस पद पर तैनात किया गया। क्या इसी मंशा से नया पद क्रिएट कर नागर को वहां लगाया गया।
चारों तरफ से बुरी तरह घिरी खट्टर सरकार पर समूचा विपक्ष हमलावर है। हरियाणा में लंबे समय से चल रहे नौकरियों में इस खेल को उठाते रहे कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि हरियाणा वासियों के सामने अब एक बात साफ है कि खट्टर साहब ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ के नारे लगाकर प्रदेश के करोड़ों युवाओं को सात साल से गुमराह करते रहे और ‘नौकरियों की बिक्री की मंडी’ चलती रही। बीजेपी-जेजेपी सरकार में अब तो ‘खर्ची’ भी ‘विकास का टॉनिक’ पीकर ‘अटैची’ में बदल चुकी है।
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हरियाणा लोकसेवा आयोग को हरियाणा पोस्ट सेल काउंटर बताते हुए सुरजेवाला ने कहा कि डिप्टी सेक्रेटरी और एचसीएस अधिकारी अनिल नागर, अश्विनी कुमार और अन्य की गिरफ्तारी के बाद अब साफ है कि हरियाणा में ‘नौकरी भर्ती और नौकरी बिक्री घोटाला’ देश के सबसे बड़े नौकरी घोटाले यानि ‘व्यापमं घोटाले’ से भी बड़ा है। मुख्यमंत्री ने तीन जुमले रटे हुए हैं- ‘मैरिट’, ‘पारदर्शिता’ और ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’। नौकरियां बिकें, पर्चे लीक हों, खाली ओएमआर शीट भरी जाएं, रोल नंबर एक दूसरे के पीछे लगाए जाएं और चाहे कुछ भी होता रहे, खट्टर साहब ये तीन जुमले उछालकर चलते बनते हैं। हरियाणा के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की जिम्मेदारी व जवाबदेही मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री की है।
सुरजेवाला ने सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग को उसने ‘हरियाणा पोस्ट सेल काउंटर’ बना दिया। साफ है कि हर भर्ती के रेट तय हैं। 25 लाख दो डेंटल सर्जन बन जाओ। 20 लाख दो, एचसीएस का प्रिलिमिनरी पेपर पास कर लो। एक करोड़ दो, एचसीएस लग जाओ। 50 लाख दो, नायब तहसीलदार लग जाओ। उन्होंने कहा कि यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि पिछले हफ्ते एक करोड़ की नकदी लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया अनिल नागर विजिलेंस को यह जानकारियां दे रहा है। उन्होंने कहा कि एचसीएस जैसी प्रदेश की सबसे बड़ी नौकरी की भर्ती में भी 24 कैंडिडेट्स के रोल नंबर नागर के पर्स से बरामद हुए और इनमें से छह पास हुए हैं और सात टॉपर्स की लिस्ट में हैं। यह सब ओएमआर शीट भरने के खेल से हुआ। यह कबूलनामा तो खुद अनिल नागर का है।
रणदीप सुरजेवाला ने मांग की है कि हरियाणा के इस ‘नौकरी बिक्री व्यापमं घोटाले’ की जांच हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी से करवाई जाए, न कि हरियाणा सरकार की एजेंसियों से, ताकि जांच निष्पक्ष हो और असली आरोपी बेनकाब हों।
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