इस वक्त पूरा उत्तर भारत और देश के पश्चिम राज्य प्रचंड गर्मी और लू का प्रकोप झेल रहे हैं। मौसम विभाग की मानें तो इस तपती गर्मी से फिलहाल 4 जून तक तो राहत मिलने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं। बुधवार को विदर्भ के चंद्रपुर में सबसे ज्यादा 48 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। लगभग आधे भारत में लू और गर्मी को लेकर चेतावनी जारी की गई है। आनेवाले दिनों में भी विदर्भ, पश्चिमी राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में लू और गर्म हवाओं को लेकर चेतावनी जारी की गई है।
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पूरे उत्तर भारत में तापमान कम होने के अभी आसार नहीं है। पूरे उत्तर भारत और दिल्ली-एनसीआर में भी गर्म हवाओं का प्रकोप जारी है। तापमान के बढ़ने के साथ ही सेहत पर ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है। घर से बाहर हों या अंदर, गर्मी से बचाव के लिए ऐसे सुरक्षित विकल्प अपनाना जरूरी हो गया है जिसका हमारी सेहत पर दीर्घकाल में बुरा असर न पड़े।
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गर्मी में कितने तापमान पर शरीर सामान्य रहे, क्या खाएं या क्या पहनें आदि कुछ ऐसी जरूरी बातें हैं, जिन पर ध्यान दिया जाए तो गर्मी का आनंद लिया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी में लू लगना, बेहोश होना, पेचिस, सिरदर्द या फिर नकसीर फूटना आदि कुछ ऐसी समस्याएं होती हैं, जिसका शिकार हम लापरवाही की वजह से होते हैं। उत्तर भारत में गर्मी के प्रकोप का सितम जारी है। इस मौसम में लापरवाही बरतने पर स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन कुछ सावधानी बरतकर आप इस मौसम में भी स्वस्थ रह सकते हैं।
किसी भी मौसम के प्रकोप से बचने में सबसे ज्यादा जो कारगर साबित होता है वो है आपका खानपान और आपकी दिनचर्या। अहम बात यह है कि विशेषकर गर्मी में खाली पेट नहीं रहना है और खाना क्या है, इसके लिए भी एहतियात बरतनी होगी।
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अगर किसी वजह से खाना नहीं खा पा रहे हैं तो ऐसे पेय पदार्थ सत्तू, बेल का शर्बत, शिकंजी या जूस पीएं, जिससे बाहर के बदलते तापमान के अनुसार शरीर का तापमान संतुलित बना रहे। एसी से तुरंत तेज धूप में निकलना या तेज धूप से आकर फ्रिज का ठंडा पानी पीना, ये आदतें बीमार कर सकती हैं। गर्मी के लिए खुद को तैयार करने के लिए यह जरूरी है कि आप स्वास्थ्य जांच भी करा लें, कम हीमोग्लोबिन होने पर बीपी कम हो जाता है या फिर नकसीर फूटने (नाक से खून निकलना,जो हाई बीपी में होता है) की शिकायतें सामने आती हैं।
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गर्मी में तेज धूप का सीधा संपर्क आपको बीमार कर सकता है। धूप के दुष्प्रभाव से कमजोरी महसूस होने लगती है, मुंह सूखने लगता है। इसीलिए अनियंत्रित ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के शिकार लोगों का डाइट चार्ट और दवाएं गर्मी शुरू होने से पहले ही बदल दी जाती हैं। ग्लूकोज अनियंत्रित होने से गर्मी में डायबिटीज के मरीजों को आंखों से संबंधित दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं। गर्मी में सबसे अधिक जरूरी है कि शरीर में नमक और पानी का अनुपात बिल्कुल भी कम न होने पाएं। इसलिए जरूरी है कि तरल चीजों का सेवन जरूर किया जाए, इसमें भी अनेक लोग कोल्ड ड्रिंक पीना कहीं ज्यादा पसंद करते हैं जबकि अधिक ठंडा पानी और कोल्ड ड्रिंक्स प्यास बुझाने की जगह प्यास को बढ़ा देती है।
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मौसम में हवा के थपेड़े और बढ़े हुए तापमान में सबसे अधिक खतरा लू लगने का होता है, जिसकी चपेट में कोई भी आ सकता है। आयुर्वेद में कुछ खास प्रकृति के लोगों को इसके खतरे के अधिक करीब माना गया है। शारीरिक रूप से कमजोर या कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही पित्तज या पित्त प्रवृति के लोगों को लू अधिक लगती है। लू लगने पर शरीर का तापमान एकदम से बहुत बढ़ जाता है। खेतों में खुले शरीर काम करने वाले, आग के सामने काम करने वाले, बाइक सवार और टीन से बने घरों में रहने वालों को भी लू का खतरा अधिक होता है। धूप में अधिक देर तक रहने से शरीर का पानी कम होने लगता है, लाल रक्त कणिकाएं टूटने लगती हैं, सोडियम पोटेशियम का अनुपात बिगड़ने लगता है और मरीज बेहोश हो जाता है। यह स्थिति समुचित इलाज के अभाव में मरीज के लिए घातक साबित हो सकती है।
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छाछ, नारियल पानी, आम का पना, जौ का सत्तू, केला, दही, चंदन, खस का शर्बत और दूध की लस्सी लेने से भी शरीर को ठंडा रखा जा सकता है। इस दौरान मिलने वाली अधिकांश सब्जियां भी ठंडी तासीर की होती हैं, जिसमें टिंडा, घिया, तोरई और लौकी आदि शामिल हैं। कच्चा प्याज, आंवला, पुदीना, धनिया, ककड़ी, संतरा, तरबूज, बेल और खरबूजे आदि की तासीर भी ठंडी होती है, लेकिन इन सब फलों का सेवन भी एक रात पानी में डुबोकर रखने के बाद ही करना चाहिए। भूल कर भी बाजार या खुले में बिकने वाले कटे हुए फल और फ्रूट चाट का सेवन नहीं करना चाहिए। इनके सेवन से हैजा या आंतों में सूजन हो सकती है।
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