उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग में कई दिनों तक फंसे 41 मजदूरों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले 12 रैट माइनर में शामिल वकील हसन के दिल्ली के खजूरी खास के श्रीराम कॉलोनी में बने घर को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त कर दिया है। रैट माइनर वकील हसन ने डीडीए पर बिना नोटिस के उनका घर गिराने का आरोप लगाया है। वकील हसन ने कहा कि मैंने मेरा घर ही पुरस्कार के रूप में मांगा था, लेकिन डीडीए ने बिना किसी नोटिस के मेरा घर गिरा दिया।
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रैट माइनर वकील हसन ने कहा कि सरकार ने मुझे आश्वासन दिया था कि मेरे घर को नहीं छुआ जाएगा, लेकिन उन्होंने ध्वस्त कर दिया और मेरे रहने की जगह छीन ली है। वकील ने शिकायत करते हुए कहा कि हमने सिल्क्यारा सुरंग में 41 लोगों को बचाया और बदले में हमें यह मिला। पहले, मैंने अधिकारियों और सरकार से अनुरोध किया था कि यह घर हमें दे दिया जाए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। आज बिना किसी सूचना के घर को ध्वस्त कर दिया गया।
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वीडियो में वकील के साथ बैठे सिल्कायारा सुरंग ऑपरेशन के हीरो रहे 12 रैट माइनर में से एक मुन्ना कुरैशी ने कहा कि अधिकारी हमें पुलिस थाने ले आए और वे हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे हम कोई अपराधी हैं। उन्होंने पुलिस पर वकील हसन के नाबालिग बच्चों को थाने में लाकर पीटने का भी आरोप लगाया है।
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पीटीआई के मुताबिक दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस बारे में कहा कि ये अभियान उस जमीन पर चलाया गया जो योजनाबद्ध विकास भूमि का हिस्सा थी। डीडीए ने एक बयान में कहा है कि 28 फरवरी को खजूरी खास गांव में अपनी अधिग्रहीत भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए डीडीए द्वारा एक अभियान चलाया गया था, जिसमें कुछ अवैध घरों को ध्वस्त किया गया था। वहीं, पुलिस ने कहा कि अभियान के दौरान अवैध रूप से निर्मित कई निर्माणों को ध्वस्त किया गया।
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बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सिल्कयारी टनल में 12 नवंबर को लैंडस्लाइड के बाद बड़ा हादसा हो गया था। दिवाली के दिन तड़के सुबह लैंडस्लाइड हुई, जिसके बाद निर्माणाधीन सिल्क्यारा-दंदालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से 41 मजदूर उसके अंदर फंस गए। इसके बाद फंसे मजदूरों को बचाने के लिए कई दिनों तक अभियान चला। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ और एनएचआईडीसीएल और आईटीबीपी समेत कई एजेंसियां बचाव कार्य में लगी रहीं। लेकिन सफलता नहीं मिली। अंततः दिल्ली से रैट माइनर्स को उत्तरकाशी बुलाया गया, जिन्होंने 21 घंटे के अंदर 10 से 12 मीटर तक हाथों से खुदाई कर मजदूरों के बाहर निकलने का रास्ता साफ कर दिया था।
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