दिल्ली में जारी कोरोना संकट के बीच अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के साथ अस्पतालों की बेरुखी जारी है। ऐसा ही मामला बुधवार को दिल्ली के एलएनजी अस्पताल के बाहर सामने आया, जहां अपनी पत्नी और उसके पेट में पल रहे 8 महीने के बच्चे को हमेशा के लिए खो चुके एक शख्स ने रो-रो कर अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि किस तरह अस्पताल ने उनके साथ व्यवहार किया।
अस्पताल के बाहर बिलख रहे अब्दुल माजिद ने बताया, "मैं अभी थोड़ी देर पहले अस्पताल की चौथे फ्लोर पर गया, जब उधर पत्नी नहीं मिली, तो डॉक्टर ने मुझसे कहा कि वह पांचवे फ्लोर पर है। आपकी पत्नी और पेट में पल रहा बच्चा ठीक है, लेकिन अब अचानक मुझसे वीडियो कॉल पर कह दिया गया कि उनकी मौत हो गई है।"
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मृतक महिला के भाई मोहम्मद परवेज ने बताया कि, "उनको कोरोना नहीं था, डॉक्टरों ने रात को जांच की। जांच के बाद कहा कि ठीक है, इनको हम आईसीयू में शिफ्ट कर रहे हैं। उसके बाद आईसीयू में किसी को जाने नहीं दिया गया। सुबह वीडियो कॉल करने के लिए मेरे जीजा जी गए, तब डॉक्टर से बात की, तो बोले कि आपकी बच्ची और पत्नी दोनों ठीक हैं।"
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पत्नी के आईसीयू में भर्ती होने के कारण अब्दुल माजिद हर थोड़ी देर बाद पत्नी और पेट में पल रहे बच्चे की हालत जानने डॉक्टरों के पास जाते रहते और जानकारी लेते रहते। हालांकि, डॉकटरों द्वारा उन्हें अश्वासन दिया जाता रहा कि आपका मरीज ठीक है। बुधवार सुबह 7 बजे भी यही कहा गया, उसके कुछ घंटों बाद भी यही बात फिर दोहराई गई कि आपका मरीज ठीक है, लेकिन उसके कुछ वक्त बाद ही पति से कह दिया गया कि अब वो इस दुनिया में नहीं रहे।
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अस्पताल के बाहर रोते हुए अपने परिजनों को फोन कर रहे मृतक महिला के पति अब्दुल माजिद ने बताया कि, "मैं सुबह 7 बजे इमरजेंसी में गया था, बाहर बैठे एक शख्श ने मुझसे कहा कि आपकी पत्नी और बच्चा दोनों ठीक हैं। इसके बाद मैं अभी थोड़ी देर पहले भी अस्पताल की चौथी फ्लोर पर गया, लेकिन जब वे उधर नहीं मिले तो डॉक्टर ने मुझसे कहा कि वह पांचवें फ्लोर पर हैं और आपकी पत्नी और पेट में पल रहा बच्चा ठीक है, लेकिन अब अचानक मुझसे वीडियो कॉल कर कह दिया कि उनकी मृत्यु हो गई।"
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अस्पताल के बाहर अब्दुल माजिद और उनके परिजन दोनों का ही रो-रो कर बुरा हाल है। अस्पताल के बाहर अब्दुल के अलावा तमाम ऐसे और मरीज हैं, जिन्हें अपने मरीज की फिक्र है। दरअसल दिल्ली के अस्पतालों के बाहर गेट पर खड़े हर दूसरे व्यक्ति की आंखों में आंसू हैं। क्योंकि परिजन अब अपने मरीजों को अस्पताल में जगह न मिलने के दर्द और सही ढंग से इलाज नहीं होने का मलाल लिए अब थक चुके हैं।
अचानक मिल रही लोगों की मौत की खबरों से आसपास खड़े अन्य मरीजों के परिजन भी घबराने लगते हैं। अपनों की फिक्र बढ़ जाती है और इसी सोच में बैठे-बैठे आंखों से आंसू निकलने लगते हैं। दिल्ली में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के रिकॉर्ड 28,395 नए मामले सामने आए, वहीं संक्रमण से 277 लोगों की मौत हुई।
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