विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन विश्व के 89 देशों तक पहुंच चुका है और मामले तीन दिनों में दोगुने हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हाइपर म्यूटेंट विषाणु है जिसमें पहले के वैरिएंट की तुलना में काफी बदलाव आए हैं और इसके स्पाइक प्रोटीन में कम से 26 से 32 बदलाव दर्ज हुए हैं, जिसकी वजह से यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है। इसकी संक्रमण दर भी अधिक है।
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डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 16 दिसंबर तक यह विषाणु विश्च के 89 देशों तक पहुंच चुका था और इस बात की आशंका है कि जल्दी ही यह कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से भी अधिक फैल सकता है।
इसमें कहा गया है कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में काफी तेजी से फैल रहा है और इसके मामले दोगुने होने में तीन दिनों का समय लग रहा है। अभी तक यह भी नहीं पता चल पाया है कि इसके तीव्र गति से फैलने की दर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देना, आंतरिक संचरणीय क्षमता या दोनों ही कारण है।
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हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि जहां तक इसकी गंभीरता का सवाल है तो अभी तक इस मामले में आंकड़े सीमित ही हैं और अभी इस दिशा में शोध किया जाना बाकी है। लेकिन जिस प्रकार से ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है उसे देखते हुए लगता है कि अधिकतर देशों में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा सकती हैं।
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डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि इस विषाणु पर वैक्सीन की कारगरता के बारे में भी अभी तक कोई ठोस डाटा उपलब्ध नहीं है। लेकिन दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन में शुरूआती नतीजों के अनुसार इस पर फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्राजेनेका और सिनोवैक वैक्सीन के दोनों डोज का कोई असर नहीं देखा गया है, लेकिन बूस्टर डोज काफी प्रभावी देखा गया है।
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