मोदी सरकार के गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर रिपोर्ट पेश की। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा को बताया कि 5 अगस्त से 15 नवंबर 2019 के बीच घाटी में पत्थरबाजी के कुल 190 मामले दर्ज किए गए और 765 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन आंकड़ों को पेश करने के साथ ही गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है। लेकिन उन्हीं के दिए आंकड़े उनके बयान की सच्चाई को सामने रख देते हैं।
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एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री ने कहा, “5 अगस्त 2019 से 15 नवंबर 2019 तक पथराव या कानून-व्यवस्था से संबंधित 190 मामलों में 765 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि 1 जनवरी 2019 से 4 अगस्त 2019 तक इस तरह के 361 मामले दर्ज किए गए थे।” इस हिसाब से देखें तो मंत्री जी द्वारा पेश आंकड़े ही बताते हैं कि जनवरी से जुलाई तक हर महीने पत्थरबाजी के औसतन 51 मामले सामने आए, जबकि अगस्त से 15 नवंबर के बीच औसतन 63 मामले दर्ज हुए।
यहां यह भी ध्यान रखने की बात है कि 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक दिन पहले से ही कश्मीर में तमाम किस्म की पाबंदिया लागू कर दी गई थीं। ऐसे में इन आंकड़ों की सच्चाई पर भी सवाल उठता है। लोकसभा में गृह राज्यमंत्री ने कहा कि, “जांच से पता चला है कि कश्मीर घाटी में पथराव की घटनाओं के पीछे कई अलगाववादी संगठनों का हाथ है।“
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इसके अलावा किशन रेड्डी ने लोकसभा को बताया कि जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद शुर में स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम थी, लेकिन अब परीक्षाओं के दौरान छात्रों की वर्तमान उपस्थित 99.7 फीसदी है।
लेकिन जिन पत्रकारों ने इन दौरान कश्मीर का दौरा किया है, उनका कहना है कि सिर्फ परीक्षा में ही छात्र नजर आ रहे हैं, जबकि बाकी स्कूल बमुश्किल ही खुले दिखे हैं।
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